1. संसाधन क्या होते हैं ?
उत्तर- हमारे पर्यावरण में पाई जाने वाली प्रत्येक वस्तु जो हमारी जरूरतों को पूरा कर सकती है| संसाधन कहलाती है। शर्त यह है कि वस्तु तकनीकी रूप से सुगम| आर्थिक रूप से उपयोगी तथा सांस्कृति रूप से मान्य हो।
2. नवीकरणीय संसाधन एवं नवीकरणीय संसाधन संसाधन किसे कहते हैं?
उत्तर-नवीकरणीय संसाधन वैसे संसाधन जिन्हें भौतिक| रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रिया द्वारा उसे पुनः प्राप्त किये जा सकते हैं। जैसे सौर ऊर्जा| पवन ऊर्जा| जल विद्युत आदि ।
अनवीकरणीय संसाधन-ऐसे संसाधनं का विकास लंबी अवधि में जटिल प्रक्रिया द्वारा होता है। जिस चक्र को पूरा होने में लाखों वर्षों लग जाते हैं। इनमें कुछ ऐसे भी संसाधन है| जो पुनः चक्रीय नहीं है। एक बार प्रयोग होने के बाद समाप्त हो जाते हैं| जैसे जीवाश्म ऊर्जा ।
3. संसाधन नियोजन है ?
उत्तर-संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग ही संसाधन नियोजन है। वर्तमान परिवेश में संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग हमारे सामने चुनौती बनकर खड़ा है। संसाधनों के विवेकपूर्ण दोहन हेतु सर्वमान्य रणनीति तैयार करना संसाधन नियोजन की प्रथम प्राथमिकता है। संसाधन नियोजन किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए आवश्यक होता है। भारत जैसे देश के लिए तो यह अपरिहार्य है| जहाँ संसाधन की उपलब्धता में अत्यधिक विविधता के साथ-साथ सघन जनसंख्या व्याप्त है। यहाँ कई ऐसे प्रदेश हैं| जो संसाधन सम्पन्न हैं। पर; कोई ऐसे भी प्रदेश हैं जो संसाधन की दृष्टि से काफी विपन्न हैं। कुछ ऐसे भी प्रदेश हैं; जहाँ एक ही प्रकार के संसाधनों का प्रचुर भंडार है और अन्य दूसरे संसाधनों में वह गरीब है। अतः राष्ट्रीय| प्रांतीय तथा अन्य स्थानीय स्तरों पर संसाधनों के समायोज़न| एक संतुलन के लिए संसाधन-नियोजन की अनिवार्य आवश्यकता है।
4. विकसित संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर- स्टॉक से अभिप्राय उन संसाधनों से है जो मानव की जरूरतें तो पूरी कर सकते हैं परन्तु मनुष्य के पास इनके विकास के लिए उचित तकनीक का अभाव है। उदाहरण के लिए जल हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन नामक दो ज्वलनशील गैसों
का यौगिक है। अत: यह ऊर्जा का बहुत बड़ा स्रोत है। हमारे पास इन गैसों को अलग-अलग करने की तकनीक नहीं है।
5. मानव एक महत्वपूर्ण संसाधन है| कैसे ?
उत्तर-बहुत से लोगों का विचार है कि संसाधन प्रकृति के मुफ्त (नि:शुल्क) उपहार होते हैं| परन्तु ऐसा नहीं है। सभी संसाधन मनुष्य के क्रियाकलापों के प्रतिफल होते हैं। मनुष्य प्रकृति में उपलब्ध पदार्थों को संसाधनों में बदलता है। इस दृष्टि से मनुष्य बहुत ही महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं।
6. संसाधनों के विकास लिए में मनुष्यों की क्या भूमिका है?
उत्तर-संसाधनों के विकास में मनुष्य की भूमिका-
(i) मानव प्रौद्योगिकी द्वारा प्रकृति के साथ क्रिया करते हैं और अपने आर्थिक विकास की गति को तेज करने के लिए संस्थाओं का निमार्ण करते हैं।
(ii) मनुष्य पर्यावरण में पाए जाने वाले पदार्थों को संसाधनों में परिवर्तित करते हैं तथा उन्हें प्रयोग करते हैं।
7. संभावी एवं संचित-कोष संसाधन में अंतर कीजिए ।
उत्तर- संभावी संसाधन- ऐसे संसाधन जो किसी क्षेत्र विशेष में मौजूद होते हैं। जिसे भविष्य में उपयोग लाये जाने की संभावना रहती है। जिसका उपयोग अभी तक नहीं किया गया हो जैसे–हिमालय क्षेत्र का खनिज| राजस्थान और गुजरात क्षेत्र में पवन और सौर ऊर्जा की असीम संभावनाएँ हैं। संचित कोष संसाधन-ऐसे संसाधन भंडार जिसे उपलब्ध तकनीक के आधार पर प्रयोग में लाया जा सकता है । भविष्य की यह पूँजी है। नदी जल भविष्य में जलविद्युत उत्पन्न करने में उपयुक्त हो सकते हैं। ऐसे संसाधन वन में या बाँधों में जल के रूप में संचित है।
8. कार्यक्रम-21 क्या है ?
उत्तर- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास के तत्वाधान में रियो-डी-जेनेरो सम्मेलन में राष्ट्राध्यक्षों द्वारा स्वीकृत पृष्ठीय एक घोषणा-पत्र है। जिसमें सतत् विकास को प्राप्त करने के लिए 21 कार्यक्रम को स्वीकृत किया गया ।
9. संभाव्य संसान क्या होते हैं ? उदाहरण देकर समझाइए ।
ऊत्तर- संभाव्य संसाधन वे संसाधन हैं जिनकी खोज तो हो चुकी है| परन्तु उनका उपयोग नहीं किया गया हैं। उदाहरण के लिए राजस्थान तथा गुजरात में पवन ऊर्जा तथा सौर ऊर्जा के विकास की अत्यधिक क्षमता है।
10. नवीकरनीय संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर-वैसे संसाधन जिन्हें भौतिक| रासायनिक प्रक्रिया द्वारा नवीकृत या पुनः प्राप्त किया जा सकता है। जैसे—सौर ऊर्जा| पवन ऊर्जा| जल आदि ।
11. जैव संसाधन की प्राप्ति कहाँ से होती है ?
उत्तर-जैव संसाधन की प्राप्ति जीवमंडल से होती है और इनमें जीवन व्याप्त होता है| जैसे-मनुष्य| वनस्पतिजात| प्राणिजात| मत्स्य जीवन| पशुधन आदि।
12. सतत् विकास किसे कहते हैं ?
उत्तर-पर्यावरण को बिना क्षति पहुँचाये भविष्य की आवश्यकताओं के मद्देनजर| वर्तमान विकास को कायम रखा जा सकें । ऐसी धारणा सतत् विकास कही जाती है।
13. प्रथम पृथ्वी सम्मेलन कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर–प्रथम पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन 3-14 जून 1992 को रियो-डी-जेनेरो में किया गया जिसमें विकसित एवं विकासशील देशों के लगभग प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
14. अपवर्जक आर्थिक क्षेत्र किसे कहा जाता है ?
उत्तर–किसी देश की तट रेखा से 200 km. की दूरी तक का क्षेत्र अपवर्जक आर्थिक क्षेत्र कहा जाता है।
15. क्योटो सम्मेलन कहाँ और क्यों आयोजित हुए ?
उत्तर- दिसम्बर 1997 में पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए जापान के क्योटो में सम्मेलन आयोजित हुए।
16. उत्पत्ति के आधार पर संसाधन के कितने प्रकार हो सकते हैं ?
उत्तर- (i) जैव संसाधन- ऐसे संसाधनों की प्राप्ति जैवमंडल से होती है। इनमें सजीव के सभी लक्षण मौजूद होते हैं। जैसे—मनुष्यं| मत्स्य| पशुधन तथा अन्य प्राणि समुदाय ।
(ii) अजैव संसाधन- निर्जीव वस्तुओं के समूह को अजैव संसाधन कहा जाता है। जैसे चट्टानें| धातु एवं खनिज आदि ।
. 17.संसाधन संरक्षण की उपयोगिता को लिखिए।
उत्तर-संसाधनों का अविवेकपूर्ण या अतिशय उपयोग| विविध सामाजिक आर्थिक| सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म देती है। इन समस्याओं के समाधान हेतु विभिन्न स्तरों पर संरक्षण की आवश्यकता है। संसाधनों का नियोजित एवं विवेकपूर्ण उपयोग ही संरक्षण कहलाता है। प्राचीन काल से ही संसाधनों का संरक्षण समाज-सुधारकों| नेताओं| चिंतकों एवं
पर्यावरणविदों के लिए यह चिन्तनीय एवं ज्वलंत विषय रहा है। वर्तमान में मेघा पाटेकर का नर्मदा बचाओ अभियान| सुन्दर लाल बहुगुणा का चिपको आंदोलन संसाधन संरक्षण की दिशा में अति सराहनीय कदम है।
18. विकास के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण कैसे किया जाता है?
उत्तर -विकास के आधार पर संसाधन को चार भागों में वर्गीकृत किया गया है –
(i) संभावी संसाधन : ऐसे संसाधन जो किसी क्षेत्र विशेष में मौजूद होते हैं जिससे उपयोग में लाए जाने की संभावना रहती है तथा जिसका उपयोग अभी तक नहीं किया गया हो।
(ii) विकसित संसाधन : ऐसे संसाधन का सर्वेक्षणोपरांत उसके उपयोग हेतु मात्रा एवं गुणवत्ता का निर्धारण हो चुका है
(iii) भंडार संसाधन : ऐसे संसाधन पर्यावरण में उपलब्ध होते हैं जो मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम हैं। किंतु उपयुक्त प्रौद्योगिकी के अभाव में इन्हें केवल भंडारित संसाधन के रूप में देखा जाता है।
(iv) संचित कोष संसाधन : वास्तव में ऐसे संसाधन भंडार के ही अंश हैं| जिसे उपलब्ध तकनीक के आधार पर प्रयोग में लाया जा सकता है| किंतु इनका उपयोग प्रारंभ नहीं हुआ है। भविष्य की यह पूँजी है।
19. संसाधन-निर्माण में तकनीक की कई भूमिका है| स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- भौतिक एवं जैविक संसाधन दोनों पदार्थ तकनीक के सहारे ही जीवनोपयोगी हो पाते हैं। आदि मानव तकनीक को पाकर ज्ञानी मानव बन गया । पर्यावरण में उपलब्ध पदार्थों का जनप्रिय तकनीक के सहारे जीवन को सुखमय बनाने में मानव सक्षम हो गया। जब पर्यावरण में मानव द्वारा जनप्रिय तकनीक का प्रयोग होता है तब सभ्यता विकसित होती है। सदियों से कोयला पेट्रोलियम एवं अन्य खनिज पृथ्वी के गर्भ में पड़ा हुआ था| लेकिन उस समय के आदि मानव में तकनीक ज्ञान का अभाव था।
20.मानव के लिए संसाधन क्यों आवश्यक हैं ?
उत्तर– प्रकृति प्रदत्त वस्तुएँ हवा| पानी| वन| वन्य जीव| भूमि| मिट्टी| खनिज सम्पदा एवं शक्ति के साधन या स्वयं मनुष्य द्वारा निर्मित संसाधन के बिना मनुष्य की जरूरतें पूरी नहीं हो सकती हैं तथा सुख-सुविधा नहीं मिल सकती है। मनुष्य का आर्थिक विकास संसाधनों की उपलब्धि पर ही निर्भर करता है। संसाधनों का महत्त्व इस बात से है कि इनकी प्राप्ति के लिए मनुष्य कठिन-से-कठिन परिश्रम करता है| साहसिक यात्राएँ करता है| फिर अपनी बुद्धि| प्रतिभा| क्षमता| तकनीकी ज्ञान और कुशलताओं का प्रयोग करके उनके उपयोग की योजना बनाता है| उन्हें उपयोग में लाकर अपना आर्थिक विकास करता है। इसलिए मनुष्य के लिए संसाधन बहुत आवश्यक है। इसके बिना मनुष्य का जीवन एक क्षण भी नहीं चल सकता है।
21. संसाधन को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर-मानव के उपयोग में आने वाली सभी वस्तुएँ संसाधन हैं। संसाधन का अर्थ जिम्मरमैन के अनुसार| संसाधन होते. नहीं बनते हैं। संसाधन भौतिक एवं जैविक दोनों हो सकते हैं। भूमि मृदा| जल खनिज जैसे भौतिक संसाधन मानवीय आकांक्षाओं
की पूर्ति संसाधन बन जाते हैं। जैविक संसाधन वनस्पति| वन्य-जीव तथा जलीय जीव जो मानवीय जीवन को सुखमय बनाते हैं।