आविन्यों (अशोक बाजपेई)

पाठ के साथ 
आविन्यों क्या है और वह कहाँ अवस्थित है ? उत्तर- " आविन्यों " एक पुराना शहर है । यह दक्षिण फ्रांस में रोन नदी के तट पर अवस्थित है । 2 . हर बरस आविन्यों में कब और कैसा समारोह हुआ करता है ? 
उत्तर - हर बरस आविन्यों में गर्मी के मौसम में फ्रांस और यूरोप का अति प्रसिद्ध लोकप्रिय रंग - समारोह हुआ करता है जिसमें देश - विदेश के बड़े बड़े कवि , नाटककार और लेखक आमंत्रित होते हैं । 
3़. लेखक आविन्यों किस सिलसिले में गए थे वहां उन्होंने देखा सुना?
" आविन्यो " में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला लोकप्रिय रंग - समारोह में भाग लेने के लिए लेखक गये थे । उन्होंने देखा सम्पूर्ण आविन्यों समारोह के आयोजन के समय रंग - स्थली के रूप में बदल जाता है । रोन नदी के किनारे अवस्थित यह पुराना शहर प्राकृतिक सौन्दर्य से सम्पन्न विशेष स्थापत्य काला से परिपुष्ट है । फ्रेंच क्रांति के बाद आविन्यों की किला साधारण लोगों के अधिकार में था । 20 वीं सदी में फ्रांस सरकार ने उन लोगों से खरीदकर इस शहर का जीर्णोद्धार करवाया तथा यहाँ के भवनों का संरक्षित धरोहर को मान्यता दी । 
4. " ला शत्रूजा " क्या है और कहाँ अवस्थित है ?आजकल उसका क्या उपयोग होता है ? 
 उत्तर- " ला शत्रूजा " एक इमारत है जो आविन्यों में अवस्थित है जो कभी पोप की राजधानी थी । फ्रेंच शासकों ने पोप की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक किला बनवाया । उसी में काश्रुसियन सम्प्रदाय का एक मठ बना वहाँ " ला राजा " है । अभी इसका उपयोग कला केन्द्र के रूप में होता है । 
5. ला शत्रूजा का अंतरंग विवरण अपने शब्दों में प्रस्तुत करते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि  लेखक ने उसके स्थापत्य को " मौन स्थापत्य " क्यों कहा है? उत्तर- " ला शत्रुजा " में दो - दो कमरे का चैम्बर्स बना है जिसमें चौदहवीं सदी जैसा पर्नीचर आधुनिक रसोईघर स्नान घर एवं आधुनिक संगीत व्यवस्था उपलव्य है । लॉ शत्रूजा के प्रत्येक चैम्बर्स का मुख्य द्वार एक कगार के चारों और पनी गलियारे में है । पीछे से भी एक परवाना है । पीके में एक आंगन भी । अतिथियों का भोजन समाह में पाँच दिन सामूहिक रुपमा गवरमा महाकालीन होती है । अन्य दिन या जलपान आदि को मवमा अतिथिका लेखक आवियों क्या साथ लेकर गये थे और कितने दिनों तक रहे ? लेखक की उपलब्धि क्या रही ? 
उतर - लेखक " आविन्यो " की यात्रा में अपने साथ हिन्दी का टाईपराइटर तीन चार पुस्तके और संगीत के कुछ रेणा से गये थे । वहाँ 19 दिनों तक रहे जिसमें लेखक 435 कविताएँ और 27. गद्य रचनाएँ लिखी । 
7. " प्रतीक्षा करते है पत्थर " शीर्षक कविता में कवि क्यों और कैसे पत्थर का मानवीकरण करता है ? 
उत्तर- " प्रतीक्षा करते हैं पत्थर " शीर्थक कविता में पाचर को मानकीकरण करके कषि कहता है - ये पत्थर पैर्वपूर्वक मनुष्य की तरह किसी की प्रतीक्षा में हो , ऐसा लग रहा है । प्रतीक्षा को यही दुःसर होती है । पैर्यशील मानव की तरह ये पत्थर मेघ , पूष , पते , अपरेषन नोरयता की पिना परवाह किये अविचल हो प्रतीक्षा में रत हैं । सुनहरे सपने लिए हुए , अनमुलक्षी पहेलियाँ में युक्त , समय चक्र से पीड़ित , तहखादाती बोली और युसपा के लेकर जैसे कोई मनुष्ण किसी को प्रतीक्षा में हो , ऐसा यह पत्थर लग रहा है । 
8. आविन्यों के प्रति कैसे अपना सम्मान प्रदर्शित करते हैं ? उत्तर - आनियों के प्रति अपना सम्मान प्रदर्शित करते हुए कहा - हर जगह हम कुछ ला शपूजा में जो पाया उसके लिए गहरी कतनता मन में है और जो गवाया उसकी गहरी पीड़ा भी । 
9. मनुष्य जीवन से पत्थर की क्या समानता और विषमता है ? 
उत्तर - लेखक के अनुकूल मानव जीवन और पत्थर में समानता है और कुछ विषमता भी । समानता मानव पैर्यवान होता है तो पत्थर भी धर्म से प्राकृतिक आपदा को सहकर धैर्यवान होने का प्रमाण देता है । मनुष्ण अपनी कामना के लिए प्रतीक्षा करता है । पत्थर भी युगों से प्रतीक्षारत प्रतीत होते हैं । विषमता -मनुष्य प्रार्थना में सिर झुकाता है । लेनिक पत्थर नहीं । मनुष्य प्रार्थना में ईश्वर से कुछ करता है लेकिन पत्थर नहीं । मनुष्य का दिल पसीजता है पत्थर का नहीं । इत्यादि । 10. इस कविता से आप क्या सीखते हैं ?
 उत्तर - इस कविता से हमें सीख मिलती है कि मनुष्य को अपने जीवन में प्रतीक्षा का महत्व देना चहिए । पत्थर की मौत हरेक दुःखों को सहकर समय का इन्तजार करना चाहिए । मनुष्य को अपने कर्म पथ से विचलिा न होना चाहिए । जैसे पत्थर अविचलित होकर न जाने किसका इन्तजार कर रहा है । 
11. नदी के तट पर बैठे हुए को क्या अनुभव होता है ? उत्तर - नदी के तट पर बैठे हुए लेखक को अनुभव होता है कि जल स्थिर है और तट ही बह रहा है । नदी के पास होता लेखक को नदी हो जाना जैसा अनुभव हो रहा है ।
 12. नदी तट पर लेखक को किसकी याद आती है और क्यों ? उत्तर - नदी तट पर लेखक को विनोद कुमार शुक्ल को लिखी एक कविता " नदी चेहरा लोगो " की याद आतो है क्योंकि इस कविता में शुक्ल जी ने नदी को मानवीकरण करते हुए बताया है कि नदी के किनारे गया हुआ मनुष्य भी नदी के समान हो जाता है । 
13. नदी और कविता में लेखक क्या समानता पाता है ? उत्तर -- नी और कविता में लेखक ने समानता बताते हुए कहा है कि नदी प्रवाहमयी होतो है तो कविता भी कवि के हदय को प्रवाहमयी धारा है । नदियों में जल की कमी नहीं , अन्य जल संसाधन भी नदी के जस में पूर्णता लाती है । उसी प्रकार कवित्व भाव से कविता अपने - आप में परिपूर्ण होती है । अन्य संसाधन जैसे नीरव क्षेत्र , नदी के तट , वन प्रदेश के साथ - साथ विभिन प्रकार के शब्द कविता में पूर्णता लाने का काम करता है ।

 14. किसके पास तटस्थ रह पाना संभव नहीं हो पाता और क्यों ?
 उत्तर - नदी और कविता के पास तटस्थ रह पाना संभव नहीं हो पार पर हमें नदी अपने जल से भिंगो देती है । उसी प्रकार कविता भी लोगों में नदी यदि अपनी प्रवाह में हमें बहाती है तो कविता के प्रवाह में भी कवि का मन प्रवाहित हो जाता है