1. लेखक को क्यों लगता है कि जैसे उस पर एक भारी दायित्व आ गया हो ?
उत्तर - नौकर बनने हेतु दिल बहादुर सामने खड़ा है निर्मला घर के कामों से परेशान रहती है नौकर पाले लोग मौज से रहते हैं । लेखक के सामने वा है नौकर बनने की बहादुर । नौकर रखना उसके लिए निहायत जरूरी है । इस स्थिति में लेखक को लगता है कि जैसे उस पर एक भारी दायित्व आ गया है ।
2. अपने शब्दों में पहली बार दिखे बहादुर का वर्णन करें ।
उत्तर - महादुर खड़ा - खदा अपनी आखें मलका रहा था बारह - तरह वर्ष की उम्र है । ठिगना चकाठ शरीर गोरा रंग , चपटा मुंह है । सफेद गंजी , आधी बाँह वाली सफेद कमीज , भूरे रंग का पुराना जूता पहने था । गले में स्काउटों की तरह बंधे रूमाल थे ।
3.लेखक को क्यों लगता है कि नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया था ?
उत्तर - लेखक के भाइयों के यहाँ नौकर थे । भाभियाँ आराम से रानियों की तरह बैठकर समय बिताती थी उसके विपरीत लेखक की पली निर्मला भर दिन काम करते - करते परेशान रहा करती । ऊपर से निर्मला अस्वस्थ भी रहने लगी थी । ऐसी हालत में लेखक को लगता है कि नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया था । 4. साले साहब से लेखक को कौन - सा किस्सा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा ?.
उत्तर - साले साहब से लेखक को " बहादुर " की वह किस्सा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा जिसमें उसके द्वारा नेपाल को छोड़कर भारत आने का किस्सा है ।
बहादुर अपने घर से क्यों भाग गया था ?
उत्तर- " बहादुर " की माँ उसको बहुत मारती थी । एक दिन भैस के कारण गुसैल माँ ने उसे अधमरा कर दिया । उसी गुस्सा पर वह अपने घर से भाग आया । 6. बहादुर के नाम से " दिल " शब्द क्यों उड़ा दिया गया ? विचार करें ।
उत्तर - बहादुर के नाम से " दिल " शब्द को निर्मला ने उड़ा दिया । विचारणीय है , क्यों ? सम्भवतः निर्मला को बोलने में अथवा उसको बुलाने में कम समय की लागत होगी । दिल से जो बहादुर हो वह शरीर से बहादुर हो ऐसा संभव नहीं होता । लेकिन बहादुर को शारीरिक क्षमता बहादुर जैसा ही थी । मात्र वह दिल से ही बहादुर नहीं था । इसलिए " दिल " हटाकर " बहादुर " के नाम से पुकारा जाता था ।
7 . व्याख्या करें
( क ) उसकी हंसी बड़ी कोमल और मीठी थी , जैसे फूल की पंखुड़ियाँ बिखर गई हों ।
उत्तर - प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक गोधूली भाग -2 गद्य खण्ड के " बहादुर ' शीर्षक है । कहानी से उद्धृत किया गया है । जिसके लेखक अमरकांत जी जब लेखक दफ्तर से आता है तो घर के लोग अपना - अपना अनुभव सुनाते देख बहादुर भी लेखक के सामने आकर सिर झुका लेता देत धीरे - धीरे मुस्कराने लगता । कुछ मामूली घटना की रिपोर्ट देकर हँसने लगता । उस समय उसकी हंसी लेखक को बड़ी कोमल और मोठी जैसी लगती । मानो जैसे फूल की पंखुड़ियाँ विखर गई हैं ।
यहाँ पर उसके मुख को फूल और उसके दाँतों को पंखुड़ियों की उपमा देकर उपमालंकार का प्रयोग हुआ है ।
( ख ) पर अब बहादुर से भूल - गलतियाँ अधिक होने लगी थीं ।
उत्तर --- प्रस्तुत पक्ति हमारे पाठ्य - पुस्तक " गोधूली " भाग -2 के गण खण्ड के " बहादुर " शीर्षक कहानी से ली गयी है जिसके लेखक अमरकान्त है । कहानी प्रसंग में " बहादुर " को मारने वालों की संख्या जब दो हो गई । किशोर के साथ - साथ निर्मला के हाथों से भी बहादुर पिटने लगा । से भूल - गलतियाँ अधिक होने लगी थीं । कभी - कभी एक गलती में दोनों मारते थे तो उसका मन नहीं लग रहा था जिसके कारण बहादुर जब किसी का मन शुव्य हो तो भला कैसे किसी काम में मन लगेगा । जब मन नहीं लगेगा तो गलतियाँ हॉगी ही ।
( ग ) अगर वह कुछ चुराकर ले गया होता तो संतोष हो जाता । उत्तर - प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक " गोधूली " भाग -2 के गद्य खण्ड के " बहादुर " शीर्षक से ली गयी है । जिसके कहानीकर अमरकान्त है । कहानी के संदर्भ में " बहादुर " जैसा कर्मठ और ईमानदार नौकर बिना तनख्वाह लिए , सब कुछ छोड़ भाग जाता है , तब किशोर " बहादुर " को खोजने के लिए पूरे शहर को छान डाला । बहादुर कहीं नहीं मिला । अन्त में किशोर निर्मला से कहता है कि अम्मा , यदि बहादुर मिल जाता तो उससे माफी मांग लेता , कभी नहीं मारता । सच , अब ऐसा नौकर कभी नहीं मिलेगा । कितना आराम दे गया वह । “ अगर वह कुछ चुराकर ले गया होता तो संतोष हो जाता । " वस्तुतः बहादुर जैसे ईमानदार , कर्मठ नौकर मिलना तो मुश्किल है ही । फिर बहादुर कुछ नहीं से गया , उसने अपनी कमाई को भी छोड़ दिया , भला इतना बड़ा त्यागी के चले जाने पर कौन संतुष्ट होगा ।
( घ ) यदि मैं न मारता , तो शायद वह न जाता । उत्तर - प्रस्तुत उक्ति अमरकान्त की है । अमरकान्त द्वारा लिखित " बहादुर " शीर्षक कहानी में जब लेखक भो " बहादुर " को मार दिये तो " बहादुर " सब कुछ छोड़ भाग जाता है । लेखक को अपनी लघुता का अनुभव होने लगता है कि- " यदि मैं न मारता , तो शायद वह न जाता । वस्तुतः किशोर मारा , निर्मला मारी लेकिन बहादुर नहीं भागा । लेखक के हाथ मार खाकर समझ जाता है कि हमको समझने वाला अब कोई नहीं है तो भाग गया ।
8. काम - धाम के बाद रात को अपने बिस्तर पर गये बहादुर का लेखक किन शब्दों में करता है ? चित्र का आशय स्पष्ट करें ।
उत्तर - काम - काज के बाद रात में बहादुर जब अपने बिस्तर पर जाता है तो लेखक बड़े ही मनोरंजक और मार्मिक शब्दों में चित्रण करते हुए कहते हैं - यह विस्तर पर बैठ जाता और अपनी जंब से नेपाली टोपी निकालकर पहन लेता , जो बाई ओर काफी झुकी रहती थी । फिर एक छोटा आईना निकालकर अपना मुंह देखता था और प्रसन्न नजर आता था । बाद में कुछ गोलियाँ , पुराने ताश की गड्डी , कुछ खुबसूरत पत्थर के टुकड़े , ब्लेड और कागज की नावे निकालकर उनसे खेलता । बाद में धीमे - धीमे स्वर में गुनगुनाता । जिसको लेखक समझ तो नहीं पाते थे पर उसकी मोठी उदासी सारे घर में फैल जाती , जैसे कोई पहाड़ को निर्जनता में अपने किसी बिछुड़े हुए साथी को बुला रहा है । जिसका आशय है कि बहादुर घर - परिवार , बन्धु - बान्धव से दूर रहकर भी अपने गीत के माध्यम से अकेलापन को दूर कर लेता ।
9. बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के सदस्यों पर कैसा प्रभाव पड़ा ?
उत्तर " बहादुर " के आने से लेखक सहित घर और परिवार वाले सदस्यों पर विशेष प्रभाव पड़ा - लेखक में ऊँचाई का एहसास होने लगा । वे मुहल्ले के लोगों के पहले से तुच्छ समझने लगे थे । किसी से सीधे मुंह से बात भी नहीं करते । किसी को ठीक ढंग से देखते भी नहीं । कई बार पड़ोसियों के बीच कहते सुनाई पड़े - जिसके पास कैलेजा है वही आजकल नौकर रखता है । निर्मला भी फूले नहीं समाती थी , अपनी बड़प्पन पड़ोसिन के बोच कर आती । परिवार के सभी सदस्य सम्पूर्ण काम बहादुर से करवाने लगे थे किशोर का मन तो बढ़ा था ही बहादुर के आ जाने से उसके काम पहले होने लगा इत्यादि ।
10. किन कारणों से बहादुर ने एक दिन लेखक का घर छोड़ दिया ?
उत्तर - बहादुर ईमानदार , कर्मठ नौकर था । जब तक बहादुर को सदस्यों का प्यार मिलता रहा । यह लेखक के घर काम करता रहा । जब लेखक का पुत्र किशोर उसे पीटने लगा , यह हंस - हंसकर झेलता रहा । जब घर की मालकिन निर्मला उस पर हाथ उठाई तो भी वह सह लिया । परन्तु जब लेखक भी बिना गलती में उसकी पिटाई करते है तो उसका हृदय फट जाता है । वह समझ जाता है कि अब इस घर में कोई नहीं है जो मेरी सच्चाई को समझ सके । अत : बहादुर लेखक के घर को छोड़कर भाग जाता है ।
11. बहादुर पर ही चोरी का आरोप क्यों लगाया जाता है और उस पर इस आरोष का क्या असर पड़ता है ? उत्तर-बहादुर पर ही चोरी का आरोष क्यों लगाया जाता है ? इस प्रश्न का उत्तर तो साफ है कि बहादुर नौकर है आजकल लोग नौकर - चाकर पर विश्वास करते ही नहीं । फिर बहादुर पर कौन करेगा । यही बात साँचकर रिश्तेदार की पत्नी ने बहादुर पर गलत आरोप मढ़ दिया । पुनः इतना बड़ा आरोपी और कौन बन सकता था । रुपये चोरी के मनगढन्त आप से उसके ऊपर जो प्रभाव पड़ा उससे प्रभावित होकर वह उदास हो गया , उससे अधिक गलतियाँ होने लगी । मालिक - मालकिन के प्रति उसका मन शुव्य हो उठा और वह घर से भाग निकला ।
12. घर आए रिश्तेदारों ने कैसा प्रपंच रचा और उसका क्या परिणाम निकला ? उत्तर - लेखक के घर आए , रिश्तेदारों ने 11 रुपये चोरी का प्रपंच रचा । क्योंकि उनको वहाँ ... कुछ भी खर्च नहीं करना पड़े । इस प्रपंच के परिणामस्वरूप लेखक भी अपनी सुझ - बुझ खो दिये । घर के लोगों में " बहादुर ' को मारने पीटने की क्रिया में बढ़ोत्तरी आ गई । उसी प्रपंच के कारण वह लेखक के घर छोड़कर भाग भी गया ।
13. बहादुर के चले जाने पर सबको पछतावा क्यों होता है ? उत्तर — बहादुर के चले जाने पर सबको पछतावा हुआ क्योंकि बहादुर जैसे इमानदार , कर्मठ नौकर अब कहाँ मिल सकता है तथा वह कुछ भी नहीं ले गया । उसने अपना तनख्वाह भी छोड़ गया । उस पर गलत आरोप लगे सबों ने अपनी मर्यादा खोकर उसकी पिटाई करने लगे थे । इन सब गलतियों के कारण सबको पछतावा होता है ।
14. बहादुर , किशोर , निर्मला और कथा वाचक का चरित्र चित्रण करें ।
उत्तर - बहादुर- " बहादुर " अमरकान्त का नौकर है । वह नेपाल - भारत सीमांचल प्रदेश का रहने वाला है । वह हसोड़ , ईमानदार एवं कर्मठ नौकर है । वह माँ के डर से भागकर भारत आया था । अमरकान्त जी सपरिवार उसको मारते - पीटते हैं । जिसे वह हंसते हुए सह लेता है । परन्तु उसे गाली - गलौज पसन्द नहीं । वह स्वाभिमानी है । बाप - माँ के प्रति उसकी आस्था उत्तम है क्योंकि जब बाप के नाम गाली लोग देते हैं तो वह प्रतीकार करता हुआ दिखाई पड़ता है । मान - सम्मान चाहने वाला बहादुर के प्रति जब लेखक के परिवार वाले का विश्वास उठने लगता है तो वह अपनी लेखक ईमानदारी का परिचय देने के लिए व लेखक क्या लेखक के साले साहब का दिया हुआ कमीज़ जूता भी छोड़कर वहां से चला जाता है।
किशोर – किशोर लेखक का पुत्र है । वह शान - शौकत में रहना पसंद करता है । बहादुर के प्रति रोव जमाना ऐसा लगता है कि वह रॉविला है । परन्तु वह सहृदय है क्योंकि जब बहादुर भाग जाता है तो वह बहादुर को खोजने का प्रयास करता है । वह अपने अम्मा से कहता है कि यदि बहादुर मिल जाता तो उससे माफी माँगकर उसे रोक लेता , उसको कभी नहीं मारता ।
निर्मला - निर्मला लेखक की पत्नी है । वह अपने शान - शौकत की बड़प्पन सुनना चाहत है । वह नौकर रखना गर्व मानती है लेकिन अंधविश्वासी होने के कारण वह बहादुर जैसे ईमानदार और कर्मठ बहादुर पर विश्वास नहीं करती है । वह भाग्यवादी भी है । इसलिए कहानी के अंत में निर्मला अपने भाग्य को कमजोर मानकर भाग्य पर रोती है । यदा - कदा वह अन्य स्त्रियों के बहकावे में भी आ जाती है । अमरकान्त — अमरकान्त " बहादुर " कहानी का लेखक है । वे शान - शौकत में रहना पसन्द करते हैं । नौकर - चाकर रखना गौरव की बात मानते हैं । अमरकान्त जी को बड़प्पन सुनने में बड़ा आनन्द आता है । निर्मला को अधिक परिश्चम करते देख नौकर रखते हैं । लेखक भी अन्धविश्वासी है तथा वास्तविकता को समझ नहीं पाते हैं । लेखक को शीघ्र गुस्सा भी आ जाता है । लेकिन अपनी गलती समझ जाने पर पश्चाताप भी करते देखे जाते हैं ।
15. निर्मला को बहादुर के चले जाने पर किस बात का अफसोस हुआ ?
उत्तर – बहादुर के चले जाने पर निर्मला को अफसोस है कि वह कुछ भी नहीं ले गया । न कोई कपड़ा , न जूता और न तनख्वाह का एक पैसा । सब कुछ छोड़कर चला गया ।
16. कहानी छोटा मुँह बड़ी बात कहती है । इस दृष्टि से " बहादुर " कहानी पर विचार करें ।
उत्तर -कोई भी कहानी - कविता छोटा मुँह बड़ी बात कह डालती है । " बहादुर " कहानी भी समाज की यथार्थता को पूर्ण रूप से उजागर करता है ।
मध्यम वर्ग के लोग ऊंचे वर्ग के लोगों का अनुचर होते हैं । लेकिन वास्तविकता तो यह है कि मध्यमवर्गीय परिवार वालों को उच्चवर्गीय लोगों राह पर चलने आता ही नहीं । मध्यम वर्ग के लोग में नौकरों के प्रति उदारता का अभाव होता है जिसके कारण नौकर टिक नहीं पाते । यह कहानी यह भी कहती है कि मनुष्य प्रेम - मान चाहता है । वह स्नेह और सम्मान के सम्मुख पैसा का कोई महत्व नहीं देता । यह कहानी यह भी बोलती है कि पारिवारिक मोह में पड़कर पढ़े - लिखे , बुद्धिमान लोग भी विभ्रमित हो जाते हैं । यह कहानी यह भी बोलती है कि सत्य को नहीं छोड़ना चाहिए । झूठ का सहारा लेने से सत्यता कुण्ठित हो जाती है । जो व्यक्ति यथार्थता को नजरअंदाज करता है उसे ही पश्चाताप की आग में जलना भी पड़ता है।
17. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए । लेखक इसका शीर्षक " नौकर क्यों नहीं रखा ?
उत्तर ' बहादुर ' शीर्षक सार्थक है क्योंकि नौकर बहादुर है । वह नौकर की तरह नहीं काम करता बल्कि उस परिवार में वह हरेक काम को अपने ढंग से करता है । यदि वह काम करने में बहादुर था तो ईमानदारी में भी बहादुर था । अतः " बहादुर " शीर्षक ही सार्थक है । लेखक ने इस कहानी का शीर्षक नौकर नहीं रखा क्योंकि बहादुर नौकर तो अवश्य था । लेकिन वह जब तक लेखक के घर रहा केवल स्नेह का इच्छुक रहा । उसे परिवार से प्रेम चाहिए था । वह मान - इज्जत चाहता था पैसा नहीं । जबकि नौकर तनख्वाह के लिए नौकरी करता है । पैसा यदि उसे नहीं मिलता हो तो नौकर मालिक के यहाँ चोरी करता है । बहादुर उन सबसे विपरीत था । पुनः जब वह बहादुर नाम से पुकारा ही जाता था तो अन्य शीर्षक रखना कैसे उचित होगा । अतः लेखक ने " नौकर " शीर्षक नहीं देकर " बहादुर " शीर्षक दिया है ।