कविता परिचय ---
वृक्ष को मनुष्य काटता है जिससे पर्यावरण , मनुष्य और सभ्यता पर बुरा असर पड़ता है । यह कविता पर्यावरण , मानव और सभ्यता के विनाश का अंतर्व्यथा है । कवि कुँवर नारायण की यह कविता ' इन दिनों ' नामक काव्य संग्रह से संकलित है।
भावार्थ -
कवि के घर के आगे एक पुराना वृक्ष था । कभी कवि घर से बाहर जाता है । वह जब घर लौटता है तो पेड़ कटा देखकर उसकी अंतर्व्यथा उबल पड़ती है । पद - अबकी घर लौटा तो देखा मनुष्य को जंगल हो जाने से । अर्थात् इस बार जब घर आया देखा वह पेड़ नहीं था जो बूढ़ा चौकीदार के तरह हमेशा दरवाजे पर तैनात मिलता था । पुराने चमड़े ( छाल ) पहने लेकिन मजबूत था । मटमैला खुरदुरा उसका तन था । एक सूखी डाल भी उसमें लगा था । मानो वह उसका राइफल हो उसके ऊपर फूलपत्ती भी थे मानो वह उसका पगड़ी हो । पुराना जड़ ऐसा लगता था मानो वह उसका फटा पुराना जूता हो जो चरमराता प्रतीत होता है । लेकिन बल - बूते अक्खड़ जैसा । धूप - बारिश , गर्मी - सर्दी हरेक अवस्था में वह चौकन्ना दिखाई पड़ता था । खाकी वर्दी पहने चौकीदार के तरह । ऐसा चौकीदार मानो जब भी मैं आता तो दूर से ललकारता " कौन " ? तब मैं जवाब देता " दोस्त " । और क्षणभर के लिए उसकी छाँव में बैठ जाता था । दरअसल पेड़ कवि ने एक जानी दुश्मन से बचाने के लिए लगाया था । यदि आपको भी अपने घर को बचाना है लुटेरों से , शहर को बचाना है नादिरों से देश को बचाना है देश के दुश्मनों से , नदियों को नाला होने से । हवा को धुआँ होने से खाना को जहर बनने से , जंगल को मरुस्थल होने से और यदि बचाना है मनुष्य को जंगली जानवर की तरह हिंसक हो जाने से तो पेड़ को बचाना होगा । वह हमारा आपका सबका रक्षक है।
बोध और अभ्यास
कविता के साथ
1. कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार क्यों लगता था ?
उत्तर - वृक्ष पुराना था , मोटा और मटमैला उसके छाल थे मानो खाकी वर्दी धारण कर रखा हो , एक सूखी डाल जो ऐसा लगता था मानो चौकीदार की राइफल हो । वृक्ष घर के आगे में था जो चौकन्ना जैसा सावधान होकर खड़ा दिखाई पड़ता था । इसलिए वृक्ष कवि को बूढा चौकीदार जैसा लगता था ।
2. वृक्ष और कवि में क्या संवाद था ?
उत्तर - वृक्ष में मानवीकरण कर कवि ने वृक्ष के साथ संवाद प्रस्तुत किया है वृक्ष दूर से कवि को पूछता- " कौन ? " कवि जवाब देता " दोस्त ! "
3. कविता का समापन करते हुए कवि अपने किन अंदेशों का जिक्र करता है और क्यों ?
उत्तर - कविता का समापन करते हुए कवि को अंदेशा है घर के लुटेरों का , शहर के नदियों का , देश के दुश्मनों का , नदियों को नाला हो जाने का , हवा को धुआँ हो जाने का , खाना जहर हो जाने का , जंगल को मरुस्थल बनने का और मनुष्य को जंगली हो जाने का । क्योंकि वृक्ष के कटने से पर्यावरण दूषित हो जाएगी , लोग बीमार पड़ेंगे , गाँव - शहर बर्बाद हो जायेगा । नदियाँ सिमटकर नाला बन जाएगी । हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की वृद्धि और ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी । खाने का वस्तु जहर हो जाएगा । जंगल मरुस्थल का रूप ले लेगा । तब मनुष्य पाश्विक प्रवृत्ति को अपनाकर जंगली जानवर की तरह व्यवहार करेगा।
4. घर , शहर और देश के बाद कवि किन - किन चीजों को बचाने की बात करता और क्यों ?
उत्तर - घर , शहर और देश के बाद कवि नदियों को नाला होने से , हवा को धूआँ होने से , खाना जहर है हो जाने से , जंगल को मरुभूमि बनने से तथा मनुष्य की मनुष्यता खत्म होने से बचाने की बात करताहरू क्योंकि वृक्ष के काटे जाने से पर्यावरण बिगड़ जाता है । वर्षा नहीं होगी तो नदियाँ सूखकर नाली जसाद ललेगी । हवा में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की बाहुलता हो जाएगी ऑक्सीजन नहीं रहेगा । खाने की वस्तुएं जहरीली हो जाएगी । जंगल मरुभूमि बन जाएगा तथा मानव सभ्यता ही समाप्त हो जाएगी ।
5. कविता की प्रासंगिकता पर विचार करते हुए एक टिप्पणी लिखें ।
उत्तर- " एक वृक्ष की हत्या " शीर्षक कविता प्रासंगिकता विचारणीय है । क्योंकि आज के औद्योगिक काल में एक ओर जहाँ उद्योग - धंधे बढ़ रहे हैं उससे निकलने वाला दूषित गैस से पर्यावरण दूषित हो रहा है । वहीं दूसरी ओर वृक्ष दूषित गैस को ग्रहण कर ऑक्सीजन देता है । वन काटे जा रहे हैं , शहरों का निर्माण हो रहा है । वन चल जाएँगे तो वर्षा नहीं होगी । अन्न नहीं उपजेंगे तो महामारी फैलेगी । नदियाँ सूख जाएँगी । भूमि मरुस्थल में परिवर्तन हो जाएगा । इस अवस्था में मानव सभ्यता का अन्त हो जाएगा । अतः वृक्ष को बचाने से ही उपरोक्त सारी चीज बचेंगी ।
6. व्याख्या करें—
( क ) दूर से ही ललकारता “ कौन ? ' मैं जवाब देता , " दोस्त ! "
उत्तर – प्रस्तुत संवादात्मक पंक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक " गोधूली " भाग -2 के काव्य ( पद्य ) खण्ड के " एक वृक्ष की हत्या " कविता से ली गई है । यह कविता " कुँवर नारायण " जी की रचना है जिसमें वृक्ष के कटने से होने वाले दुष्परिणाम के साथ - साथ कवि के हृदय की अंतर्वेदना निहित है । प्रस्तुत पंक्ति के अनुकूल जब वह वृक्ष घर के आगे खड़ा था तो वह चौकीदार की भाँति रक्षक के रूप में काम रहा था । यहाँ पर वृक्ष में मानवीकरण कर कवि वृक्ष के साथ संवाद उपस्थित किया है " दूर से ललकारता , " कौन ? " मैं जवाब देता , " दोस्त ! " अर्थात् जब कभी भी कवि वृक्ष के पास जाता तो मानो चौकीदार बना वह पेड़ ललकारते हुए प्रश्न करता " कौन है ? " उसके उत्तर में कवि दोस्त ! कहकर संवाद को सफल बनाया है । वस्तुतः हम सभी को वृक्ष को दोस्त बनाना चाहिए । क्योंकि वृक्षरूपी हमारा दोस्त बड़ा ही वफादार चौकीदार बनकर हमारी रक्षा करता रहता है ।
( ख ) बचाना है जंगल को मरुस्थल हो जाने से बचाना है - मनुष्य को जंगल हो जाने से ।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्य पुस्तक " गोधूली " भाग -2 के काव्य खण्ड के " एक वृक्ष की हत्या ' शीर्षक कविता से ली गई हैं । जिसके कवि हैं — कुँवर नारायण जी जिसमें वृक्ष के कटने वाले अंदेशों को व्यक्त किया गया है । वृक्ष की रक्षा करने से मानवता के साथ मानव सभ्यता की रक्षा होती है अत : वृक्ष की रक्षा करनी चाहिए । कवि का कथन है कि यदि बचाना है जंगल को मरुभूमि होने से तथा यदि बचाना है मानवता को अथवा मानवीय सभ्यता को तो वृक्ष की हत्या रोकना पड़ेगा ।
7. कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए । उत्तर- " एक वृक्ष की हत्या ' शीर्षक सार्थक है । क्योंकि एक वृक्ष जो कवि को वफादार चौकन्ना चौकीदार सादृश लग रहा था । वृक्ष सबकी रक्षा करता है । अगर वह काटा जाता है तो वह उसकी हत्या है । हम जब वृक्ष की हत्या होने से बचाएँगे तो हमारा पर्यावरण बचेगा , भूमि मरुस्थली होने से बचेगा तथा मानव - सभ्यता नाश होने से बचेगा ।
8. इस कविता में एक रूपक की रचना हुई है । रूपक क्या है और यहाँ उसका क्या स्पष्ट कीजिए
उत्तर - रूपक एक अलंकार है । यहाँ उपमा के द्वारा रूपक की रचना की गई है । जैसे कविता में वृक्ष की उपमा वफादार चौकन्ना चौकीदार से किया गया है ।