हिरोशिमा ( सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय)

भावार्थ - हिरोशिमा जापान का शहर है । जापान को उगते हुए सूरज का देश कहा जाता है । एक दिन प्रलयंकारी सूर्य के समान हिरोशिमा शहर के चौक पर परमाणु बम का विस्फोट हुआ जो दिशाहीन मानव के मस्तिष्क की उपज थी । काल के प्रलयंकारी तांडव से जापान की रूक गईं । मानो उगते हुए सूर्य के रथ के पहिये का अरे ( कील ) टूट गया हो और रथ के हरेक पाट - पुर्जे दिशाओं में बिखर गये हों । वही स्थिति जापान की हुई क्षणभर में उदय सूर्य का देश कहलाने वाला अस्त हो गया । एक क्षण में सब कुछ जल गया । मानो प्रलयंकारी सूर्य अपने दोपहरी रूप में सबकुछ सोख लिया है । कितने मनुष्य भाप बनकर उड़ गये , कितने की लाशं धरती पर बिछ गई , पत्थरों पर सड़कों पर सब जगह लाश ही लाश । जिस मानव का देश जापान को बनाया , वही मानव , मानव को भाप बनाकर सोख लिया । जापान का यह विध्वंसकारी घटना दिशाहीन मानव के कुकृत्य का साक्षी ( गवाह ) है ।

वतुनिष्ठ प्रश्न 

1. ' अज्ञेय ' का पूरा नाम है 
( A ) कुमार ' अज्ञेय '
 ( B ) सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ' अज्ञेय ' 
( C ) डॉ . हीरानंद ' अज्ञेय 
( D ) वात्स्यायन कुमार ' अज्ञेय ' 
Answer - B
2. ' अज्ञेय ' का जन्म कहाँ हुआ था ? 
( A ) कुशीनगर | उत्तरप्रदेश 
( B ) भोपाल / मध्यप्रदेश 
( C ) जयपुर | राजस्थान 
( D ) राजगृह । बिहार
 Answer - A 
3. ' अज्ञेय ' का मूल निवास कहाँ था ? 
( A ) कर्तारपुर 
( B ) मिर्जापुर
 ( C ) प्रतापपुर 
( D ) राजापुर

बोध और अभ्यास
 कविता के साथ
 1. कविता के प्रथम अनुच्छेद में निकलने वाला सूरज क्या है ? वह कैसे निकलता है ?
 उत्तर - कविता के प्रथम अनुच्छेद में निकलने वाला सूरज आण्विक हथियार है । जब वह निकलता है तो प्रलयंकारी दृश्य उपस्थित कर देता है । मनुष्य , जीव - जन्तु , पत्थर आदि सब कुछ भाप बनकर उड़ जात हैं।
 2. छायाएँ दिशाहीन क्यों पड़ती हैं ? स्पष्ट करें ।
 उत्तर – दोपहर में जब सूर्य पूर्व में होता है तो छायाएँ पश्चिम और अर्थात् विपरीत दिशा ( दिशाहीन ) की ओर पड़ती है ।
 3 . प्रज्वलित क्षण की दोपहरी से कवि का आशय क्या है ?
 उत्तर - जब किसी क्षेत्र पर परमाणु बम गिराया जाता है तो सब कुछ जलने लगता है । मानो प्रलयंकारी सूर्य दोपहर के समय प्रज्वलित जैसा होकर सबको सोख रहा है । अर्थात् सब जल जाते हैं । 
4. मनुष्य की छायाएँ कहाँ और क्यों पड़ी हुई हैं ? उत्तर — मनुष्य की छायाएँ हिरोशिमा क्षेत्र में पड़ी हैं । अर्थात् मानव की छाया ( प्रतीक ) चिह्न अभी भी देखा जा सकता है कि किस प्रकार की बर्बादी (त्रासदी) वहाँ मचाया गया । मानव तो भाप बनकर उड़ गये लेकिन उनकी छाया ( प्रतीक ) अभी भी मौजूद है । एक साक्षी के रूप में । 
5. हिरोशिमा में मनुष्य की साखी रूप में क्या है ? उत्तर - हिरोशिमा में परमाणु बम गिराया गया सब कुछ भाप बनकर उड़ गया । मनुष्य उड़ गये । चारो ओ बर्बादी ही बर्बादी हुई । हिरोशिमा में उस नरसंहार की छाया अभी भी हिरोशिमा में देखी जा सकती है । अर्थात् वहाँ का दृश्य स्पष्ट बयान करता है मानव त्रासदी का । हिरोशिमा का वह दृश्य मनुष्य की साखी रूप में है । निकला । 
" 6. व्याख्या करें— 
( क ) “ एक दिन सहसा । सूरज 
उत्तर — प्रस्तुत पद्यांश हमारे पाठ्य पुस्तक गोधूली भाग -2 के काव्य ( पद्य ) " हिरोशिमा " शीर्षक कविता से लिया गया है जिसमें जापान के , हिरोशिमा शहर पर हुए परमाणु प्रयोग से हुए त्रासदी की याद " अज्ञेय ' " जी ने दिलाई है । 
हिरोशिमा नगर के बीचो - बीच एक दिन एकाएक (अचानक ) बम गिरा जिसमें मनुष्य भाप बनकर उड़ गये । मानो प्रलयंकारी सूर्य अकस्मात् निकलकर सबको सोख लिया हो । सब बर्बाद हो गये । 
( ख ) “ काल - सूर्य के रथ के पहियों के ज्यों अरे टूट कर बिखर गये हों । दसों दिशा में । ' 
उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्य पुस्तक “ गोधूली " भाग -2 के काव्य ( पद्य ) खण्ड के ' हिरोशिमा ' शीर्षक पाठ से ली गई हैं । जिसमें हिरोशिमा पर हुए परमाणु - अस्त्र के प्रयोग से विध्वंस का दृश्य प्रस्तुत करते हुए " अज्ञेय " जी कहते हैं " काल - सूर्य दसों दिशा में अर्थात् मानो काल - रूपी सूर्य उदय हो रहा हो उस समय उसके रथ के पहिये की अरे ( कील ) टूट गया हो और सब कुछ दसों दिशा में बिखर गये हों । अर्थात् विकासशील जापान जो कभी उगते हुए सूर्य का देश कहा जाता था सब तितर - बितर हो गये ।
 ( ग ) “ मानव का रचा हुआ सूरज । मानव को भाप बनाकर सोख गया । " 
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्य पुस्तक " गोधूली " भाग -2 के काव्य ( पद्य ) खण्ड के ' हिरोशिमा ' ' शीर्षक पाठ से ली गई है जिसके कवि " अज्ञेय " जी है । कवि ने हिरोशिमा पर हुए परमाणु अस्त्र के प्रयोग से त्रासदी का वर्णन किया है । जापान जिसे उगता हुआ सूरज का देश कहा जाता था । उस जापान को विकसित करने का श्रेय मनुष्य को है । लेकिन मनुष्य ही ने उसे बर्बाद कर दिया । मानो मानव का रचा सूरज मानव को भाप बनाकर सोख गया । " अर्थात् प्रलयंकारी काल का सूर्य की तरह मानव रचित आण्विक हथियार से हिरोशिमा को बर्बाद कर दिया । लोग भाप बनकर उड़ गये ।