Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 3 संपूर्ण क्रांति


संपूर्ण क्रांति वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

 

Sampurn Kranti Ka Question Answer Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 1.
जयप्रकाश नारायण का जन्म कब हुआ था?
(क) 11 अक्टूबर, 1902 M
(ख) 14 नवम्बर, 1907
(ग) 10 मार्च, 1935
(घ) 10 सितम्बर, 1910
उत्तर–
(क)



Sampoorna Kranti Question Answer Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 2.
जयप्रकाश नारायण की पत्नी कौन थी?
(क) दमयन्ती देवी
(ख) प्रभावती देवी
(ग) लक्ष्मी देवी
(घ) शोभा देवी
उत्तर–
(ख)

Sampurn Kranti Question Answer Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 3.
प्रभावती जी किनकी पुत्री थी?
(क) ब्रजकिशोर प्रसाद
(ख) राधारमण
(ग) देवकुमार
(घ) शशिधर
उत्तर–
(क)

Sampoorna Kranti Summary In Hindi Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 4.
जयप्रकाश जी की प्रारंभिक शिक्षा कहाँ हुई थी?
(क) घर पर
(ख) स्कूल में
(ग) कॉलेज में .
(घ) ननिहाल में
उत्तर–
(क)


संपूर्ण क्रांति जयप्रकाश नारायण Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 5.
इन्होंने किस स्कूल में प्रथम दाखिला लिया?
(क) पटना कॉलेजिएट
(ख) मिलर हाईस्कूल
(ग) दयानंद हाईस्कूल
(घ) मुस्लिम हाईस्कूल
उत्तर–
(क)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

Class 12 Hindi Chapter 3 Question Answer Bihar Board प्रश्न 1.
जयप्रकाश जी प्रारंभिक शिक्षा …………… पर हुई थी।
उत्तर–
घर

प्रश्न 2.
जयप्रकाश जी को बिहार में हिन्दी की वर्तमान स्थिति विषयक निबंध पर ………… पुरस्कार मिला।
उत्तर–
सर्वोच्च


प्रश्न 3.
अमेरिका में कैलिफोर्निया, बर्कले, विष्किसन–मेडिसन आदि संस्थाओं में जे.पी. ने …….. ग्रहण की।
उत्तर–
उच्च शिक्षा

प्रश्न 4.
अमेरिका में जे.पी. ने मार्क्सवाद और ……….. की शिक्षा ग्रहण की।
उत्तर–
समाजवादी

प्रश्न 5.
जे. पी. माँ की ……… के कारण पी. एच. डी. नहीं कर सके।
उत्तर–
अस्वस्थता

प्रश्न 6.
जयप्रकाश जी के पुकार का नाम ………… था।
उत्तर–
बाडल

संपूर्ण क्रांति अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जयप्रकाश नारायण अपनी जनपक्षधरता के कारण किस रूप में प्रसिद्ध हुए?
उत्तर–
लोकनायक।

प्रश्न 2.
जयप्रकाश नारायण जी किस सन् में अमेरिका गए?
उत्तर–
सन् 1922।

प्रश्न 3.
इन्हें समाज सेवा के लिए किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया?
उत्तर–
मैग्सेसे पुरस्कार।

प्रश्न 4.
जयप्रकाश नारायण जी का निधन किस दिन हुआ?
उत्तर–
8 अक्टूबर, 1979।

प्रश्न 5.
लेखक मद्रास में अपने किस मित्र के साथ रूका था?
उत्तर–
ईश्वर अय्यर।

प्रश्न 6.
रामधारी सिंह दिनकर जी की मृत्यु किस कारण हुई थी?
उत्तर–
दिल का दौरा पड़ने से।।

प्रश्न 7.
जयप्रकाश नारायण के अनुसार देश का भविष्य किसके हाथों में है?
उत्तर–
नई पीढ़ी के।

प्रश्न 8.
लेखक ने बिहार विद्यापीठ से कौन–सी परीक्षा दी?
उत्तर–
आई. ए.।

प्रश्न 9.
जयप्रकाश नारायण विदेश से लौटकर कांग्रेस में शामिल हो गए क्योंकि
उत्तर–
वे आजादी की लड़ाई में शामिल होना चाहते थे।

प्रश्न 10.
लेखक किस मित्रता को ठोस मानता है?
उत्तर–
अंडरग्राउंड जमाने की।

प्रश्न 11.
जयप्रकाश नारायण जी का जवाहरलाल नेहरू जी से किन मामलों में मतभेद था?
उत्तर–
परराष्ट्र नीतियों के मामलों में

संपूर्ण क्रांति पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
आन्दोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण के क्या विचार थे, आन्दोलन का नेतृत्व किस शर्त पर करते हैं?
उत्तर–
आन्दोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण कहते हैं कि मैं सबकी सलाह लूँगा, सबकी बात सुनूँगा। छात्रों की बात जितना भी ज्यादा होगा, जितना भी समय मेरे पास होगा, उनसे बहस करूंगा समझूगा और अधिक से अधिक बात करूँगा। आपकी बात स्वीकार करूँगा, जनसंघर्ष समितियों की लेकिन फैसला मेरा होगा। इस फैसले को सभी को माना होगा। जयप्रकाश आन्दोलन का नेतृत्व अपने फैसले पर करते हैं और कहते हैं कि तब तो इस नेतृत्व का कोई मतलब है, तब यह क्रान्ति सफल हो सकती है। और नहीं, तो आपस की बहसों में पता नहीं हम किधर बिखर जाएंगे और क्या नतीजा निकलेगा?

प्रश्न 2.
जयप्रकाश नारायण के छात्र जीवन और अमेरिका प्रवास का परिचय दें। इस अवधि की कौन–कौन सी बातें आपको प्रभावित करती हैं?
उत्तर–
जयप्रकाश नारायण का प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुआ था। 1921 ई. की जनवरी महीने में पटना कॉलेज में वे आई–एस. सी. के छात्र थे। उसी समय वे गाँधीजी के असहयोग आन्दोलन के आह्वान पर असहयोग किया और असहयोग के करीब डेढ़ वर्ष ही मेरा जीवन बीता था कि मैं फूलदेव सहाय वर्मा के पास भेज दिया गया कि प्रयोगशाला में कुछ करो और सीखो। मैंने हिन्दू विश्वविद्यालय में दाखिला इसलिए नहीं लिया क्योंकि विश्वविद्यालय को सरकारी मदद 19 सम्म मिलती थी। बिहार विद्यापीठ से परीक्षा पास की। बचपन में स्वामी सत्यदेव के भाषण से प्रभावित होकर अमेरिका गया। ऐसे में कोई धनी घर का नहीं था परन्तु मैंने सुना था कि कोई भी अमेरिका में मजदूरी करके पढ़ सकता है।

मेरी इच्छा थी कि आगे पढ़ना है मुझे। अमेरिका के बागानों में मैंने काम किया, कारखानों में काम किया, लोहे के कारखानों में। जहाँ जानवर मारे जाते हैं उन कारखानों में काम किया। जब वे युनिवर्सिटी में पढ़ते ही तब वे छुट्टियों में काम कर इतना कमा लेते थे कि दो–चार विद्यार्थी सस्ते में खा–पी लेते थे। एक कोठरी में कई आदमी मिलकर रहते थे। रविवार की छुट्टी नहीं बल्कि एक घंटा रेस्तरां में होटल में बर्तन धोया या वेटर का काम किया। बराबर दो तीन वर्षों तक दो–तीन लड़के एक ही रजाई में सोकर पढ़े थे। जब बी. ए. पास कर गये तो स्कॉलरशिप मिल गई, तीन महीने के बाद असिस्टेंट हो गये डिपार्टमेंट के ट्यूटोरियल क्लास लेने लगे। अमेरिका प्रवास में जयप्रकाश नारायण के कैलिफोर्निया बर्कले, विलिकंसन मेडिसन आदि कई विश्वविद्यालयों में अध्ययन किया। इस तरह अमरिका में इनका प्रवास रहा।

प्रश्न 3.
जयप्रकाश नारायण कम्युनिस्ट पार्टी में क्यों नहीं शामिल हुए?
उत्तर–
जयप्रकाश ने लेनिन से सीखा था कि जो गुलाम देश है, वहाँ के जो कम्युनिस्ट हैं उनको हरगिज वहाँ की आजादी की लड़ाई से अपने को अलग नहीं रखना चाहिए। क्योंकि लड़ाई का नेतृत्व ‘बुजुओ वर्ग’ के हाथ में होता है, पूँजीपतियों के हाथ में होता है। अतः कम्युनिस्टों को अलग नहीं रहना चाहिए। अपने को आइसोलेट नहीं रहना चाहिए। जयप्रकाश देश की आजादी के खातिर कांग्रेस में शामिल हुए क्योंकि कांग्रेस देश का नेतृत्व कर नही थी।

प्रश्न 4.
पाठ के आधार पर प्रसंग स्पष्ट करें
(क) अगर कोई डिमॉक्रेसी का दुश्मन है, तो वे लोग दुश्मन हैं जो जनता के शान्तिमय कार्यक्रमों में बाधा डालते हैं उनकी गिरफ्तारियाँ करते हैं, उन पर लाठी चलाते हैं, गोलियाँ चलाते हैं।
(ख) व्यक्ति से नहीं हमें तो नीतियों से झगड़ा है, सिद्धान्तों से झगड़ा है, कार्यों से झगड़ा है।
उत्तर–
व्याख्या–
(क) प्रस्तुत पंक्तियाँ महान समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ शीर्षक भाषण से ली गई है। इन पंक्तियों में जयप्रकाश नारायण ने लोकतंत्र के दुश्मनों का वर्णन किया है। जयप्रकाश तत्कालीन सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए यह बातें कहते हैं। प्रसंग यह है कि एक पुलिस के उच्चाधिकारी ने कहा कि नाम लेना यहाँ ठीक नहीं होगा कि मैंने दीक्षितजी के मुँह से सुना है कि ‘जयप्रकाश नारायण’ नहीं होते तो बिहार जल गया होता। तब जयप्रकाश नारायण यह सोचते हैं कि यह सारा जयप्रकाश के लिए क्यों होता है? उनके नेतृत्व में यह प्रदर्शन और यह सभा होनेवाली है, क्यों लोगों को रोकते हैं आप? जनता से घबराते हैं आप? जनता के आप प्रतिनिधि हैं? किसकी तरफ से शासन करने बैठे हैं आप? आपकी हिम्मत की पटना आने से लोगों को रोक लें आप? यहाँ लोकतंत्र है और लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति को शान्तिपूर्ण सभा करने का अधिकार है। यदि सरकार यह सब करने से रोकती है तो वह सरकार के निकम्मेपन और नीचता का प्रतीक है।

(ख) प्रस्तुत वाक्य जयप्रकाश, नारायण के भाषण ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ से लिया गया है। आन्दोलन के समय जयप्रकाश नारायण के कुछ ऐसे मित्र थे जो चाहते थे कि जेपी और इन्दिरा म जी में मेल–मिलाप हो जाए। इसी प्रसंग में जेपी ने कहा है कि उनका किसी व्यक्ति से झगड़ा नहीं है। चाहे वह इन्दिराजी हो या या कोई और उन्हें तो नीतियों से झगड़ा है, सिद्धान्तों से झगड़ा है, कार्यों से झगड़ा है। जो कार्य गलत होंगे जो नीति गलत होगी, जो सिद्धान्त गलत होंगे–चाहे वह कोई भी करे–वे विरोध करेंगे।

प्रश्न 5.
बापू और नेहरू की किस विशेषता का उल्लेख जेपी ने अपने भाषण में किया है?
उत्तर–
जेपी ने अपने भाषण में बापू एवं नेहरूजी की विशेषताओं का उल्लेख किया है। जयप्रकाश कहते हैं कि जब हम नौजवान थे तब उस जमाने में यह जुर्रत होती थी हमलोगों की बापू के सामने हम कहते थे हम नहीं मानते हैं बापू यह बात। और बापू में इतनी महानता थी कि वे बुरा नहीं मानते थे। फिर भी बुलाकर हमें प्रेम से समझाना चाहते थे समझते थे। जेपी कहते हैं कि जवाहरलाल मुझे मानते बहुत थे। मैं उनका बड़ा आदर और प्रेम करता था परन्तु उनकी कटु आलोचना भी करता था। लेकिन बड़प्पन था कि वे बुरा नही मानते थे। अक्सर वे हमारी आलोचनाओं का बुरा नहीं माना। उनके साथ जो मतभेद था वह परराष्ट्र की नीतियों को लेकर था।

प्रश्न 6.
भ्रष्टाचार की जड़ क्या है? क्या आप जेपी से सहमत हैं? इसे दूर करने के लिए क्या सुझाव देंगे?
उत्तर–
हमारी नजर में भ्रष्टाचार की जड़ सरकार की गलत नीतियाँ हैं। इन गलत नीतियों के कारण भूख है, महँगाई है, भ्रष्टाचार है कोई काम जनता का नहीं निकलता है बगैर रिश्वत दिए। सरकारी दफ्तरों में बैंकों में, हर जगह, टिकट लेना है उसमें जहाँ भी हो, रिश्वत के बगैर काम नहीं होता। हर प्रकार के अन्याय के नीचे जनता दब रही है। शिक्षण–संस्थाएँ भ्रष्ट हो रही है। हमारे नौजवानों का भविष्य अंधेरे में पड़ा हुआ है। जीवन उनका नष्ट हो रहा है इस प्रकार चारों ओर भ्रष्टाचार व्याप्त है। इसे दूर करने के लिए समाजवादी तरीके से सरकार ऐसी नीतियाँ बनाएँ जो लोककल्याणकारी हो।

प्रश्न 7.
दलविहीन लोकतंत्र और साम्यवाद में कैसा संबंध है?
उत्तर–
दलविहीन लोकतंत्र सर्वोदय विचार का मुख्य राजनीतिक सिद्धान्त है और ग्राम सभाओं के आधार पर दलविहीन प्रतिनिधित्व स्थापित हो। दलविहीन लोकतंत्र तो मार्क्सवाद तथा लेनिनवाद के मूल उद्देश्यों में से है। मार्क्सवाद के अनुसार समाज जैसे–जैसे साम्यवाद की ओर बढ़ता जाएगा, वैसे–वैसे राज्य–स्टेट का क्षय होता जाएगा और अंत में एक स्टेटलेस सोसाइटी कायम होगी। वह समाज अवश्य ही लोकतांत्रिक होगी, बल्कि उसी समाज में लोकतंत्र का सच्चा स्वरूप प्रकट होगा और वह लोकतंत्र निश्चय ही दलविहीन होगा।

प्रश्न 8.
संघर्ष समितियों से जयप्रकाश नारायण की क्या अपेक्षाएँ हैं?
उत्तर–
संघर्ष समितियों से जयप्रकाश नारायण की निम्नलिखित अपेक्षाएँ हैं

  • सभी संघर्ष समितियाँ मिलकर चुनावों में अपना उम्मीदवार खड़ा करें अथवा जो उम्मीदवार खड़े किए जाएँ उनमें से किसी को मान्य करें।
  • चुनावों में इन समितियों द्वारा खड़ा किया गया जो भी उम्मीदवार जीते, उसके भावी कार्यक्रमों पर नजर रखने का काम ये समितियाँ करेंगी।
  • यदि कोई प्रतिनिधि गलत रास्ता चुनता है तो ये समितियाँ उसको इस्तीफा देने के लिए बाध्य करेंगी।
  • इन संघर्ष समितियों का काम केवल शासन से संघर्ष करना ही नहीं है बल्कि समाज के हर अन्याय और अनीति के विरुद्ध संघर्ष करना होगा।
  • इन समितियों का कार्य सभी अफसरों तथा कर्मचारियों में विद्यमान घूसखोरी के विरुद्ध संघर्ष करना भी होगा।
  • जिन बड़े–बड़े किसानों ने बेनामी या फर्जी बन्दोबस्तियों की हैं उनका विरोध भी ये समितियाँ करेंगी।
  • गाँवों में तरह–तरह के अन्याय होते हैं, वे समितियाँ उन अन्यायों को भी रोकेंगी।

प्रश्न 9.
जयप्रकाश नारायण के इस भाषण से आप अपना सबसे प्रिय अंश चुनें और बताएं कि वह सबसे अधिक प्रभावी क्यों लगा?
उत्तर–
इस भाषण में हमारा सबसे प्रिय अंश निम्नलिखित हैं–”मित्रो, अमेरिका के बागानों में मैंने काम किया कारखानों में काम किया–लोहे के कारखानों में। जहाँ जानवर मारे जाते हैं, उन कारखाने में काम किया। जब यूनिवर्सिटी में पढ़ता था, छुट्टियों में काम करके इतना कमा लेता था कि कुछ खाना हम तीन–चार विद्यार्थी मिलकर पकाते थे और सस्ते में हम लोग खा–पी लेते थे। एक कोठरी में कई आदमी मिलकर रह लेते थे रुपया बचा लेते थे, कुछ कपड़े खरीदने, कुछ फीस के लिए। और बाकी हर दिन–रविवार को भी छुट्टी नहीं…. एक घंटा रेस्तरां में, होटल में या तो बर्तन धोया या वेटर का काम किया तो शाम को रात का खाना मिल गया, दिन का खाना मिल गया। किराया कहाँ से मकान का हमको आया?

बराबर दो–तीन लड़के कितने वर्षों तक दो चारपाई नहीं थी कमरे में एक चारपाई पर मैं और कोई न कोई अमेरिकन लड़का रहता था। हम दोनों साथ सोते ते, एक रजाई हमारी होती थी। इस गरीबी में मैं पढ़ा हूँ। इतवार के दिन या कुछ ‘ऑड टाइम’ में यह जो होटल का काम है–उसको छोड़ करके जूते साफ करने का काम ‘शू शाइन पार्लर’ में उससे ले करके कमोड साफ करने का काम होटलों में करता था। वहाँ जब बी.ए. पास कर लिया, स्कॉलरशिप मिल गई; तीन महीने के बाद असिस्टेंट हो गया डिपार्टमेंट का ‘ट्यूटोरियल क्लास’ लेने लगा, तो कुछ आराम से रहा इस बीच में। इन लोगों से पूछिए। मेरा इतिहास ये जानते हैं और जानकर भी मुझे गालियाँ देते हैं।”

यह अंश हमें सबसे अधिक प्रभावी इसलिए लगा क्योंकि इसमें एक विद्यार्थी के कठोर परिश्रम और शिक्षा प्राप्ति के प्रति सच्ची लगन का चित्रण है। जयप्रकाश नारायण जी ने विदेश में रहकर किन कठिनाइयों के बीच अपनी पढ़ाई की इसकी यहाँ मार्मिक अभिव्यक्ति है।

प्रश्न 10.
चुनाव सुधार के बारे में जयप्रकाश जी के प्रमुख सुझाव क्या हैं? उन सुझावों से आप कितना सहमत हैं?
उत्तर–
चुनाव सुधार के बारे में जयप्रकाश जी के प्रमुख सुझाव निम्नलिखित हैं–

  • चुनाव को पद्धति में आमूल परिवर्तन होना चाहिए।
  • चुनावों पर होनेवाला खर्च कम करना चाहिए।
  • गरीब उम्मीदवारों के चुनाव में भाग लेने का प्रयास करना चाहिए।
  • मतदान प्रक्रिया स्वच्छ और स्वतन्त्र हो।
  • उम्मीदवारों के चयन में मतदाताओं का हाथ वास्तव में हो।
  • चुनाव के बाद मतदाताओं का अपने प्रतिनिधियों पर अंकुश हो।
  • जन–संघर्ष समितियाँ आम राय से जनता के लिए सही उम्मीदवार का चयन करे।

प्रश्न 11.
दिनकरजी का निधन कहाँ और किन परिस्थितियों में हुआ?
उत्तर–
निधन के दिन दिनकर जी जेपी से मिले थे। उसी रात्रि में वे जेपी के मित्र रामनाथजी गोयनका (इंडियन एक्सप्रेस के मालिक) के घर पर मेहमान थे। रात को दिल का दौरा पड़ा। तीन मिनट में उनको अस्पताल पहुंचाता गया। सारी व्यवस्था थी वहाँ पर। सभी डॉ. सब तरह से तैयार थे। दिनकरजी फिर से जिंदा नहीं हो पाए। उसी रात उनका निधन हो गया।

संपूर्ण क्रांति भाषा की बात

प्रश्न 1.
जयप्रकाश नारायण के इस भाषण से अंग्रेजी के शब्दों को चुनें और उनका हिन्दी पर्याय दें।
उत्तर–

  • अंग्रेजी नाम – हिन्दी पर्याय
  • इंडियन एक्सप्रेस – अखबार का नाम
  • डॉक्टर – चिकित्सक
  • यूथ – युवा वर्ग
  • डिमोक्रेसी – लोकतंत्र
  • लैबोरेटरी – प्रयोगशाला
  • डिक्टेट – बताना
  • असिस्टेंट – सहायक
  • नान–गजटेड – गैर–राजपत्रित
  • डाइवर्शन – रूकावट
  • अंडरग्राउंड – भूमिगत
  • यूनिवर्सिटी – विश्वविद्यालय
  • रेस्तरां – होटल
  • डिपार्टमेंट – विभाग
  • आई–एस. सी – अन्तरमाध्यमिक विज्ञान (प्रवेश विज्ञान)
  • रेक्यू असिस्टेंट – सहायक राजस्व अधिकारी

प्रश्न 2.
नीचे लिखे वाक्यों से सर्वनाम चुनें और बताएं कि वे सर्वनाम के किस भेद के अन्तर्गत हैं
(क) पहली बात जो मैंने नोट की है आपसे कहने के लिए वह इस सरकार के बारे में है।
(ख) मुझे भी छात्रवृत्ति मिलती थी।
(ग) मेरा उनका बहुत पुराना संबंध था।
(घ) तिब्बत के बारे में मेरी बात तो नहीं मानी उन्होंने।
उत्तर–
(क) मैंने, आपसे, वह–पुरुषवाचक सर्वनाम
(ख) मुझे–उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम
(ग) मेरा, ‘उनका–पुरुषवाचक सर्वनाम
(घ) मेरी, उन्होंने–पुरुषवाचक सर्वनाम

प्रश्न 3.
निम्नलिखित से विशेषण बनाएँ महत्ता, गरीबी, स्नेह, प्रेम, शक्ति, कानून, गाँव।
उत्तर–

  • शब्द – विशेषण
  • महत्ता – महत्त्वपूर्ण
  • गरीबी – गरीब
  • स्नेह – स्नेही
  • प्रेम – प्रेमी
  • शक्ति – शक्तिशाली
  • कानून – कानूनी
  • गाँव – ग्रामीण

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों से अव्यय चुनें
(क) लेकिन आज बड़ी भारी जिम्मेदारी हमारे कंधों पर आई है और मैंने इस जिम्मेदारी को अपनी तरफ से माँग करके नहीं लिया है।
(ख) मैं टालता रहा, टालता रहा, लेकिन अंत में वेल्लोर जाते समय मैंने उनके आग्रह को स्वीकार कर लिया।
(ग) अभी न जाने कितने मीलों इस देश की जनता को जाना है।
(घ) थोड़ी सी खेती और पिताजी नहर विभाग में जिलादार, बाद में रेवेन्यू असिस्टेंट हुए।
(ङ) अभी हाल में जब मैं वेल्लोर में था, तो हमारे परम मित्र और स्नेही उमाशंकर जी दीक्षित पटना आए थे।
उत्तर–
(क) लेकिन, और
(ख) लेकिन
(ग) कितने
(घ) और
(ङ) तो, और

प्रश्न 5.
सम्पूर्ण भाषण में अनेक स्थानों पर वाक्य संरचना टूटी हुई है क्योंकि यह लिखित भाषण नहीं है, स्वतः स्फूर्त ऐसा भाषण है जिसमें बोलना और सोचना एक साथ होता है। ऐसे वाक्य चुनें और उन्हें व्यवस्थित करें।
उत्तर
(1) वाक्य – दिन पर दिन बेरोजगारी बढ़ती जाती है।
व्यवस्थित वाक्य बेरोजगारी दिन पर दिन बढ़ती जाती है।

(2) वाक्य – रात को दिल का दौरा पड़ा, तीन मिनट में उनको अस्पताल
पहुंचाया गोयनका जी ने तीन मिनट में। व्यवस्थित वाक्य रात को दिल का दौरा पड़ा, गोयनका जी ने उनको तीन मिनट में अस्पताल पहुंचाया।

(3) वाक्य – ‘विलिंगडन नर्सिंग होम’ शायद उसे कहते हैं।
व्यवस्थित वाक्य शायद उसे ‘विलिंगडन नर्सिंग होम’ कहते हैं।

(4) वाक्य – असहयोग करने के बाद करीब डेढ़ वर्ष यों ही मेरा जीवन बीता।
व्यवस्थित वाक्य असहयोग करने के बाद मेरा जीवन करीब डेढ़ वर्ष यों ही बीता।

(5) वाक्य – कितनी गालियाँ मुझे दी गई हैं।
व्यवस्थित वाक्य मुझे कितनी गालियाँ दी गई हैं।

संपूर्ण क्रांति लेखक परिचय जयप्रकाश नारायण (1902–1979)

जीवन परिचय :
भारत के एक प्रमुख विचारक, क्रांतदर्शी नेता तथा विद्रोही स्वाधीनता सेनानी जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर सन् 1902 के दिन उत्तर प्रदेश के बलिया और बिहार के सारण जिले में फैले गाँव सिताब दियारा में हुआ था। अपनी जनपक्षधरता के कारण ये ‘लोकनायक’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। इनकी माता का नाम फूलरानी तथा पिता का नाम हरसूदयाल था। इनकी आरम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई फिर पटना कॉलेजिएट, पटना में दाखिल हुए। इसके बाद इन्होंने पटना कॉलेज, पटना में प्रवेश लिया। लेकिन असहयोग आन्दोलन के दौरान शिक्षा अधूरी छोड़ दी। सन् 1922 में ये शिक्षा प्राप्ति के लिए अमेरिका चले गए। वहाँ इन्होंने बर्कले, कैलिफोर्निया, विस्किंसन–मैडिसन आदि कई विश्वविद्यालयों में अध्ययन किया। लेकिन माँ की अस्वस्थता के कारण ये पीएच.डी. न कर सके और स्वदेश लौट आए।

सन् 1929 में ये कांग्रेस में शामिल हो गए तथा सन् 1932 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान जेल गए। इसके बाद इन्होंने ‘कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी’ के गठन में अहम भूमिका निभाई। सन् 1939 तथा 1943 में भी जेल गए। सन् 1942 के आंदोलन में इन्हें विशेष प्रसिद्धि मिली। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सन् 1952 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के गठन में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। इसके बाद ये सक्रिय राजनीति से अलग हो गए। सन् 1954 में ये विनोबा भावे के सर्वोदय आन्दोलन में शामिल हो गए। सन् 1965 में इन्हें समाज सेवा के लिए मैग्सेसे सम्मान प्रदान किया गया।

इसके बाद इन्होंने सन् 1974 में छात्र आन्दोलन का नेतृत्व किया। इस कारण ये ‘लोकनायक’ कहकर पुकारे गए और युवाशक्ति के प्रतीक बन गए। इन्होंने ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ का नारा दियां और कई राजनीतिक–सामाजिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए उन पर अमल करने की अपील की। जिसका जनता पर व्यापक असर हुआ। लेकिन अब इनका शरीर जवाब देने लगा था। ये गम्भीर रूप से अस्वस्थ हो गए थे। अस्वस्थता की स्थिति में ही 8 अक्टूबर सन् 1979 के दिन इनका निधन हो गया। भारत सरकार द्वारा इनके अतुलनीय योगदान के लिए इन्हें सन् 1998 में ‘मरणोपरान्त भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।

रचनाएँ :
जयप्रकाश नारायण कोई साहित्यकार न थे। ये तो भारत के एक प्रमुख समाजवादी विचारक तथा स्वाधीनता सेनानी थे। इन्होंने कुछेक रचनाएँ भी लिखी जो निम्नलिखित हैं

‘रिकंस्ट्रक्शन ऑफ इंडियन पॉलिटी’ इसके अतिरिक्त इनकी कुछ कविताएँ, डायरी तथा निबंध भी प्रकाशित हैं।

साहित्यिक विशेषताएँ :
जयप्रकाश नारायण एक समाज सुधारक तथा श्रेष्ठ नेता थे। इन्होंने बड़े पैमाने पर साहित्य–सृजन नहीं किया है, अपितु कुछेक रचनाएँ ही लिखी हैं। इनके साहित्य में इनके चरित्र में उपलब्ध विशेषताएँ विद्यमान हैं।

संपूर्ण क्रांति पाठ के सारांश

‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ शीर्षक अंश 5 जून 1974 के पटना के गाँधी मैदान में दिये गए जयप्रकाश नारायण के भाषण का एक अंश है .। सम्पूर्ण भाषण स्वतंत्र पुस्तिका के रूप में ‘जनशक्ति’ पटना से प्रकाशित है। इनका भाषण सम्पूर्ण जनता मंत्रमुग्ध होकर सुनती रही। भाषण के बाद लोगों के हृदय में क्रान्तिकारी विचार धधक उठे और आन्दोलन के विराट रूप धारण कर लिया। पटना के गांधी मैदान में फिर न वैसी भीड़ इकट्ठी हुई और न वैसा कोई प्रेरक भाषण हुआ।

अपने भाषण के प्रारम्भ में जयप्रकाश नारायण ने युवाओं को संकेत देते हुए कहा है कि हमें स्वराज तो मिल गया है, लेकिन सुशासन के लिए हमें अभी काफी संघर्ष करने होंगे। भाषण के क्रम में उन्होंने नेहरूजी का उदाहरण दिया। नेहरूजी कहते थे कि सुशासन के लिए देश की जनता को अभी मीलों जाना है। कठिन परिश्रम करने हैं। त्याग करने हैं। जेपी ने कहा कि अभी समाज में भूख, महँगाई, भ्रष्टाचार जैसे दानव वर्तमान हैं। उनसे हमें लड़ना होगा। आन्दोलन करना होगा। इसके लिए जनता को तैयार रहना होगा।

आन्दोलन को सफल बनाने हेतु उन्होंने युवाओं को आगे आकर नेतृत्व करने की सलाह दी। उन्होंने ‘यूथ फॉर डेमोक्रेसी’ का आह्वान किया। लोगों के आग्रह पर उन्होंने आन्दोलन के नेतृत्व का दायित्व अपने कंधे पर ले लिया। उन्होंने जनसंघर्ष समितियों का गठन किया।

जेपी ने अपने भाषण में अमेरिका प्रवास की बात कही है। अमेरिका में वे मजदूरी कर पढ़ते थे। पढ़ाई के क्रम में वे घोर कम्युनिस्ट बन गये। जमाना लेनिन का था। अत: लेनिन के विचारों से प्रभावित थे। लेनिन के मरने के बाद वे घोर मार्क्सवादी बन गये। अमेरिका से लौटकर वे कांग्रेस में दाखिल हो गये। वे कम्युनिस्ट पार्टी में क्यों नहीं गये, इसका कारण उन्होंने देश की गुलामी माना।

जेपी आन्दोलन के क्रम में जो सभा हुई थी, उस सभा को विफल बनाने में कांग्रेस सरकार ने कौन–कौन से हथकंडे अपनाये, इसकी भी चर्चा उन्होंने अपने भाषण में की है। लोगों को ट्रेनों से उतारा गया। लाठियां चलाई गई। जेपी ने इसे लोकतंत्र पर कलंक माना। वे उनलोगों को लोकतंत्र का दुश्मन मानते हैं जो शान्तिमय कार्यक्रमों में बाधा डालते हैं। वे इन्दिराजी की चर्चा करते हैं। उनके अनुसार उनकी लड़ाई किसी व्यक्ति से नहीं, बल्कि उनकी गलत नीतियों से उनके गलत सिद्धान्तों से है, उनके गलत कार्यों से है।

भाषण के क्रम में वे बापू एवं जवाहरलाल नेहरू की प्रशंसा करते हैं। वे गांधीजी का विरोध भी करते थे क्योंकि वे घोर कम्युनिस्ट जो थे। नेहरूजी को वे ‘भाई’ कहा करते थे। अपने भाषण में वे नेहरू की विदेश नीति के विरोध की चर्चा करते हैं। राष्ट्रीय नीति पर उनका नेहरूजी से कोई मतभेद नहीं था। भाषण के क्रम में उन्होंने दल विहीन लोकतंत्र की चर्चा की है लेकिन जेपी आन्दोलन में वे दलविहीन लोकतंत्र की घोषणा नहीं करना चाहते थे। वे जनता की भावनाओं के विरुद्ध जाना नहीं चाहते थे। भाषण के क्रम में केवल उन्होंने मार्क्सवाद की चर्चा की है। साम्यवाद एवं दलविहीन एवं राजविहीन समाज में संबंधों की चर्चा जेपी ने की।

अपने ऐतिहासिक भाषण में उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि वे सम्पूर्ण क्रान्ति चाहते हैं। देश का सामाजिक, आर्थिक एवं नैतिक बदलाव ही सम्पूर्ण क्रान्ति है। इस सम्पूर्ण क्रान्ति को लाने में जनसंघर्ष समितियों की भूमिका की चर्चा उन्होंने अपने भाषण में की हैं। उनके अनुसार दलविहीन संघर्ष समितियाँ ही विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार तय करेंगी। साथ ही, जन–प्रतिनिधियों पर इन संघर्ष समितियों का ही नियंत्रण होगा। जन–प्रतिनिधि निरंकुश न हों इसका ध्यान जनसमितियों को रखना होगा। ये संघर्ष समितियाँ स्थायी रूप से कार्य करेंगी। साथ ही ये समितियाँ केवल लोकतंत्र के लिए ही नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक एवं नैतिक क्रान्ति के लिए अथवा सम्पूर्ण क्रान्ति के लिए कार्य करेंगी।