Bihar Board Class 12 Political Science दो ध्रुवीयता का अन्त Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
सोवियत अर्थव्यवस्था की प्रकृति के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है?
(क) सोवियत अर्थव्यवस्था में समाजवाद प्रभावी विचारधारा थी।
(ख) उत्पादन के साधनों पर राज्य का स्वामित्व/नियंत्रण होना।
(ग) जनता को आर्थिक आजादी थी।
(घ) अर्थव्यवस्था के हर पहलू का नियोजन और नियंत्रण राज्य करता था।
उत्तर:
(ग) जनता को आर्थिक आजादी थी।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित को कालक्रमानुसार सजाएं?
(क) अफगान-संकट
(ख) बर्लिन-दीवार का गिरना
(ग) सोवियत संघ विघटन
(घ) रूसी क्रांति
उत्तर:
(क) रूसी क्रांति (1917)
(ख) अफगान संकट (1979)
(ग) बर्लिन दीवार का गिरना (1989)
(घ) सोवियत संघ विघटन (1991)
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में कौन-सा सोवियत संघ के विघटन का परिणाम नहीं है?
(क) संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच विचारधारात्मक लड़ाई का अंत
(ख) स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रकुल (सी.आई.एस.) का जन्म
(ग) विश्व-व्यवस्था के शक्ति-संतुलन में बदलाव
(घ) मध्यपूर्व में संकट
उत्तर:
(ख) स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रकुल (सी.आई.एस.) का जन्म
प्रश्न 4.
निम्नलिखित का मेल करें।
उत्तर:
- (क)
- (घ)
- (क)
- (ङ)
- (ख)
प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
(क) सोवियत राजनीतिक प्रणाली ……. की विचारधारा पर आधारित थी।
(ख) सोवियत संघ द्वारा बनाया गया सैन्य गठबंधन ……. था।
(ग) ……… पार्टी का सोवियत राजनीतिक व्यवस्था पर दबदबा था।
(ङ) …….. का गिरना शीतयुद्ध के अंत का प्रतीक था।
उत्तर:
(क) समाजवाद
(ख) वारसों
(ग) कम्युनिस्ट
(घ) मिखाइल गोर्बाचेव
(ङ) पूर्वी गुट
प्रश्न 6.
सोवियत अर्थव्यवस्था को किसी पूँजीवादी देश जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था से अलग करने वाली किन्हीं तीन विशेषताओं का जिक्र करें।
उत्तर:
1. सोवियत अर्थव्यवस्था में गतिरोध रहा, क्योंकि उसने अपने संसाधनों का अधिकांश परमाणु हथियार और सैन्य साजो सामान लगाया। इसके विपरीत पूँजीवादी देश जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका ने ऐसा नहीं किया। उसने अपने संसाधन जनता से संबंधित विकास कार्यों में लगाया इसलिए वहाँ की अर्थव्यवस्था में गतिरोध रहा।
2. सोवियत अर्थव्यवस्था केन्द्रीकृत थी जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था विकेन्द्रीकृत थी।
3. सोवियत संघ ने अपने गुट में शामिल पूर्वी यूरोप के देशों पर पर्याप्त धन खर्च किया जिससे उसके उपर आर्थिक दबाव बढ़ गया। संयुक्त राज्य अमरीका ने ऐसा नहीं किया। वह उन्हें ऋण जरूर देता था परंतु उसकी वसूली कड़ाई से करता था।
प्रश्न 7.
किन बातों के कारण गोर्बाचेव सोवियत संघ में सुधार के लिए बाध्य हुए?
उत्तर:
सोवियत संघ में अनेक ऐसी समस्यायें उत्पन्न हो गयी थी जिनमें सुधार करने के लिए गोर्बाचेव बाध्य हुए। ये बातें या कारण निम्नलिखित हैं –
- सोवियत शासन प्रणाली नौकरशाही का नियंत्रण बहुत अधिक था जिससे यह प्रणाली सत्तावादी हो गई। इसके कारण लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समाप्त हो गई और लोग असंतुष्ट रहने लगे।
- सोवियत संघ एक दल (कम्युनिस्ट पार्टी) का शासन था जो जनता के प्रति जवाबदेह नहीं था।
- सोवियत संघ में 15 गणराज्य थे जिसमें रूस उनमें से एक राज्य था। परंतु सभी क्षेत्रों में रूस का प्रभुत्व था। अन्य गणराज्यों की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था। वहाँ की जनता उपेक्षित और दमित महसूस कर रही थी।
- सोवियत संघ ने प्रौद्योगिक और बुनियादी ढांचे (परिवहन ऊर्जा आदि) पर विशेष ध्यान नहीं दिया। वह पश्चिमी देशों से पिछड़ गया था।
- सोवियत संघ की जनता अपने राजनीतिक और आर्थिक सुविधाओं को प्राप्त करने में असफल रही और उसे आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था।
- सोवियत रूस में खाद्यान्न में कमी आ गई थी।
प्रश्न 8.
भारत जैसे देशों के लिए सोवियत संघ के विघटन के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
यद्यपि भारत दोनों महशक्तियों-सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों से अच्छा तालमेल रखता था परंतु वह सोवियत संघ के अधिक निकट था। उसने भारत की अनेक प्रकार से संकटों या सामान्य समय में सहायता की। इसलिए उसके विघटन से भारत निश्चित रूप से बहुत अधिक प्रभावित हुआ।
- सोवियत संघ के विघटन से शीतयुद्ध समाप्त हो गया और विश्व के विभिन्न भागों में शांति स्थापित हुई। इस शांति का भारत को भी लाभ मिला। परमाणु हथियारों के संचय और हथियारों की होड़ से भी राहत मिली।
- विश्व में अमेरिका की तानाशाही स्थापित हो गयी है। यह भारत की राजनीति को भी प्रभावित कर रहा है।
- अमरीका भारत में भी अपनी मनमानी चल रहा है आये दिन कुछ शर्तों को मानने के लिए विवश करता है।
- अन्य देशों की भांति भारत की अर्थव्यवस्था भी अमरीका से प्रभावित हो रही हैं। भारत द्वारा परमाणु परीक्षण के समय आर्थिक प्रतिबंध लगाने के धमकी दे रहा था।
- उसने पड़ोसी देश पाकिस्तान को धन देकर भारत के विरुद्ध भड़काने का कार्य किया है।
- सोवियत का हिस्सा रूस भी अब शक्तिशाली नहीं रह गया। इसलिए उससे भारत को प्रौद्योगिकी और आर्थिक सहायता अब कम मिल रही है।
प्रश्न 9.
शॉक थेरेपी क्या थी? क्या साम्यवाद से पूँजीवाद की तरफ संक्रमण का यह सबसे बेहतर तरीका था?
उत्तर:
शॉक थेरेपी और साम्यवाद से पूंजीवाद की तरफ संक्रमण का यह सबसे बेहतर तरीका शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ-आघात पहुंचाकर उपचार करना है। साम्यवादी से पूंजीवाद की तरफ संक्रमण से पूंजीवाद की तरफ संक्रमण के लिए विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित इस मॉडल को शॉक थेरेपी कहा गया। साम्यवाद के पतन के पश्चात सोवियत संघ के गणराज्यों को पूंजीवाद की ओर मोड़ने का अच्छा तरीका समझा गया।
रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशों में पूंजीवाद की ओर संक्रमण का यह सशक्त तरीका था। वस्तुतः सोवियत संघ के समय की प्रत्येक संरचना को समाप्त करना था। शॉक थेरेपी की सर्वाधिक मूल मान्यता थी कि मिल्कियत का सर्वोपरि प्रभावी रूप निजी स्वामित्व होगा। इसके अंतर्गत राज्य की सम्पदा के निजीकरण और व्यवसायिक स्वामित्व के ढांचे को तुरंत लागू करने की बात कही गई। सामूहिक फार्म को निजी फार्म में बदला गया और पूंजीवाद पद्धति से खेती शुरू हुई। व्यापार के द्वारा ही विकास की बात की गई। इस कारण मुक्त व्यापार को पूर्णरूप से अपनाना आवश्यक समझा गया। पूंजीवादी व्यवस्था को अपनाने के लिए वित्तिय खुलापन मुद्राओं की आपसी परिवर्तनीयता और मुक्त व्यापार की नीति महत्त्वपूर्ण मानी गयी।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित कथन के पक्ष में एक लेख लिखें –
“दूसरी दुनिया के विघटन के बाद भारत को अपनी विदेश-नीति बदलनी चाहिए और रूस जैसे परंपरागत मित्र की जगह संयुक्त राज्य अमेरिका से दोस्ती करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।”
उत्तर:
दूसरी दुनिया से तात्पर्य सोवियत संघ के गुट से है। अब इसका विघटन हो गया है। ऐसे में भारत को अपनी विदेश नीति रूप से बदलनी चाहिए। अब प्रश्न उठता है कि क्या रूस जैसे परम्परागत मित्र को छोड़ दिया जाये और उसकी जगह संयुक्त राज्य अमेरिका से दोस्ती करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
I. पक्ष में:
- भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण करने तथा उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था से जोड़ने का फैसला किया है। इस नीति और हाल के वर्षों में प्रभावशाली आर्थिक वृद्धि दर के कारण भारत अब अमरीका समेत कई देशों के लिए आकर्षक आर्थिक सहयोगी बन गया है।
- ऐसे में अमरीका से दोस्ती पर बल देना चाहिए।
- इसके अलावा कई अन्य तथ्य हैं जो इस बात पर बल देते हैं –
- सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भारत के कुल निर्यात का 65% अमरीका को जाता है।
- बोईग के 35% तकनीकी कर्मचारी भारतीय मूल के हैं।
- सिलिकन वैली में 3 लाख भारतीय काम करते हैं।
- उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र की 15% कम्पनियों की शुरुआत अमरीका में बसे भारतीयों ने की है।
- कुछ विद्वान मानते हैं कि भारत और अमरीका के हितों में संबंध लगातार बढ़ रहा है और यह भारत के लिए ऐतिहासिक अवसर है। ये विद्वान ऐसी रणनीति अपनाने का पक्ष लेते हैं जिससे भारत अमरीका वर्चस्व का फायदा उठाएँ।
- वे चाहते हैं कि दोनों के आपसी हितों का मेल हो और भारत अपने लिए सबसे बढ़िया विकल्प ढूंढ सके। इन विद्वानों की राय है कि अमरीका के विरोध की रणनीति व्यर्थ साबित होगी और आगे चलकर इससे भारत को हानि होगी।
II. विपक्ष में:
- अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को सैन्य शक्ति के संदर्भ में देखने वाले भारत के विद्वान भारत और अमरीका की बढ़ती हुई निकटता से भयभीत है। ऐसे विद्वान यह चाहते है कि: भारत अमरीका से अपना अलगाव बनाए रखे और अपना ध्यान अपनी राष्ट्रीय शक्ति को बढ़ाने पर लगाये।
- कुछ विद्वानों का विचार है कि भारत अपने नेतृत्व में विकासशील देशों का गठबंधन बनाए। कुछ वर्षों में यह गठबंधन अधिक शक्तिशाली हो जायेगा और अमरीकी वर्चस्व के विरोध में सक्षम हो जाएगा।
Bihar Board Class 12 Political Science दो ध्रुवीयता का अन्त Additional Important Questions and Answers
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
बर्लिन की दीवार क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर:
- शीतयुद्ध के चरम बिंदु की प्रतीक बर्लिन की दीवार है जिसका निर्माण 1961 में हुआ था और पश्चिमी बर्लिन और बर्लिन को एक दूसरे से अलग करती थी।
- यह साम्यवाद के पतन की भी प्रतीक है। 9 नवम्बर, 1989 में इस दीवार को तोड़ यिा गया। यह दोनों जर्मनी के एकीकरण और साम्यवादी खेमे की समाप्ति की शुरूआत थी।
प्रश्न 2.
1917 ई. की रूसी क्रांति के क्या कारण थे?
उत्तर:
- यह क्रांति पूंजीवादी व्यवस्था के विरोध में हुई रूस का जार इसको छोड़ने को तैयार नहीं था।
- रूस में लोग समाजवाद के आदर्शों और समतामूलक समाज की स्थापना करना था। यह मानव इतिहास में निजी संपत्ति की संस्था को समाप्त करने और समाज को समानता सिद्धांत पर सक्रिय रूप से रचने की सबसे बड़ी कोशिश थी। इसी क्रांति के पश्चात् समाजवादी सोवियत गणराज्य की रूस में स्थापना हुई।
प्रश्न 3.
ब्लादिमीर लेनिन कौन था?
उत्तर:
- यह बोल्शेनिक कम्युनिस्ट पार्टी का संस्थापक था। इसने 1917 ई. के रूसी क्रांति का नेतृत्व किया और क्रांति को सफलता की सीढ़ी तक पहुंचाया।
- 1917 से 1924 तक की अवधि उसके लिए सबसे कठिन थी जब रूस की आर्थिक स्थिति खराब हो गयी थी। वह सोवियत समाजवादी गणराज्य का संस्थापक अध्यक्ष थे। उसने मार्क्सवादी के महत्त्वपूर्ण सिद्धांत बनाये और उसे अमली जामा पहनाया।
प्रश्न 4.
दूसरी दुनिया से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
- द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् पूर्वी यूरोप के देश सोवियत संघ के प्रभाव में आ गये थे। वस्तुत: सोवियत ने इन्हें फासीवादी ताकतों से मुक्त कराया था। इन सभी देशो की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को सोवियत संघ की समाजवादी प्रणाली की तर्ज पर ढाला गया। इन्हें ही समाजवादी खेमे के देश या दूसरी दुनिया कहते हैं।
- इस गुट का नेता समाजवादी सोवियत गणराज्य था। इसमें इसके अलावा युगोस्लाविया चैकोस्लोवाकिया, पूर्वी जर्मनी, एस्टोनिया, लातविया आदि देश थे।
प्रश्न 5.
सोवियत प्रणाली की दो कमियां बताइए।
उत्तर:
- सोवियत प्रणाली पर नौकरशाही का नियंत्रण स्थापित हो गया था। जिससे यह प्रणाली सत्तावादी हो गई। इसके कारण नागरिकों का जीवन कठिन होता गया। लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अभाव हो गया था।
- सोवियत संघ में एक दल यानि कम्युनिष्ट पार्टी का शासन था और इस दल का सभी संस्थाओं पर गहरा अंकुश था। यह दल जनता के प्रति जवाबदेह नहीं था।
प्रश्न 6.
मिखाईल गोर्बाचेव के सुधारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
- गोर्बाचेव ने पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने, सोवियत संघ को लोकतांत्रिक रूप देने और वहाँ सुधार करने का प्रयास किया।
- उसने देश के अंदर आर्थिक-राजनीतिक सुधारों और लोकतंत्रीकरण की नीति चलाई।
प्रश्न 7.
जोजेफ स्टालिन की दो उपलब्धियाँ बताइए।
उत्तर:
- यह लेनिन का उत्तराधिकारी और सोवियत संघ का फासिस्ट प्रशासक था। इसके काल में सोवियत संघ एक महाशक्ति के रूप में स्थापित हो गया।
- इसने औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया और खेती का बलपूर्वक सामूहिकीकरण किया। 1930 के दशक में अपनी पार्टी के अंदर अपने विरोधियों को कुचलने और तानाशाही रवैया अपनाया।
प्रश्न 8.
स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल क्या है?
उत्तर:
- रूस, बेलारूस, और उक्रेन ने 1922 की सोवियत संघ के निर्माण से संबद्ध संधि को समाप्त करने का निर्णय किया और स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल बनाया।
- आर्मेनिया, अजरबेजान, माल्दोवा, रुजाकिस्तान, किरणीझस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान राष्ट्रकुल में शामिल था।
- संयुक्त राष्ट्रसंघ में सोवियत संघ की सीट रूस को मिली।
प्रश्न 9.
सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था में गतिरोध क्यों आया?
उत्तर:
- सेवियत संघ ने अपने संसाधनों का अधिकांश परमाणु और सैन्य साजो-सामान पर लगाया।
- उसके अपने संसाधन पूर्वी यूरोप के अपने पिछलग्गू देशों के विकास पर भी खर्च किए ताकि वे सोवियत नियंत्रण में बने रहें। इससे सोवियत संघ पर गहरा आर्थिक दबाव बन गया और वह इसको सहन न कर सका।
प्रश्न 10.
कम्युनिष्ट पार्टी से सोवियत संघ में किस प्रकार राजनैतिक गतिरोध उत्पन्न हुआ?
उत्तर:
- सोवियत रूस में कम्युनिस्ट पार्टी ने 70 वर्षों तक शासन किया और वह पार्टी अब जनता के प्रति जवावदेह नहीं रह गई थी।
- राजनैतिक गतिरोध का प्रशासन भारी भ्रष्टाचार, गलती सुधारने के अक्षमता शासन में ज्यादा खुलापन लाने के प्रति अनिच्छा और देश क विशालता के कारण हुआ।
प्रश्न 11.
सोवियत संघ के पतन के तात्कालिक कारण क्या थे?
उत्तर:
सोवियत संघ के पतन का तात्कालिक कारण राष्ट्रवादी भावनाओं और सम्प्रभुता की इच्छा का उदय था। रूस और बाल्टिक गणराज्य (एस्टोनिया, लातविया और लियुआतिया), यूक्रेन तथा जार्जिया जैसे गणराज्य इन आंदोलन उदय में सहायक थे। राष्ट्रीयता और सम्प्रभुता के भावों ने सोवियत संघ के विघटन का रास्ता साफ कर दिया।
प्रश्न 12.
वोरिस येल्तासिन कौन था?
उत्तर:
- ये रूस के प्रथम निर्वाचित राष्ट्रपति थे।
- गार्बोचेव द्वारा मास्को के मेयर बनाये गये थे।
- आगे चलकर ये गोर्बाचेव के आलोचकों में शामिल हो गये और 1991 ई. में कम्युनिस्ट पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
- इन्होंने सोवियत संघ के शासन के विरुद्ध नेतृत्व किया और सोवियत संघ के विघटन में केन्द्रीय भूमिका निभाई।
- साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर संक्रमण के दौरान रूसी लोगों को हुए कष्ट के लिए उन्हें उत्तरदायी ठहराया गया।
प्रश्न 13.
सोवियत संघ के विघटन के सकारात्मक परिणाम बताइए।
उत्तर:
- सोवियत संघ भी एक महाशक्ति था। इसके विघटन से शीत युद्ध समाप्त हो गया, क्योंकि दोनों महाशक्तियों के उदय से शीत युद्ध का जन्म हुआ।
- इसके विघटन से हथियारों की होड़ समाप्त हो गयी और परमाणु संचय की प्रवृत्ति कम हो गई। इस प्रकार विश्व में शांति की संभावना की आशा जागृत हुई।
प्रश्न 14.
अमरीका के एकलौता महाशक्ति होने से क्या दुष्परिणाम हुए?
उत्तर:
- अमरीका की शक्ति और प्रतिष्ठता के कारण पूंजीवादी अर्थव्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभुत्वशाली अर्थव्यवस्था है।
- विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष जैसी संस्थायें, विभिन्न देशों की ताकतवर सलाहकार बन गई हैं क्योंकि इन देशों को पूंजीवाद की ओर कदम बढ़ाने के लिए इन संस्थाओं को कर्ज दिया है।
- राजनीतिक रूप से उदारवादी राजनीतिक जीवन को सूत्रबद्ध करने की सर्वश्रेष्ठ धारणा के रूप में उदित हुआ है।
प्रश्न 15.
‘इतिहास के सबसे बड़ी गराज सेल’ का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के अंतर्गत अपनायी गई ‘शॉक थेरेपी’ से पूर्व सोवियत संघ गुट के देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई और देश की जनता को कष्टों का सामना करना पड़ा।
- इससे रूस में संपूर्ण राज्य नियंत्रित औद्योगिक ढांचा तहस-नहस हो गया। लगभग 90% उद्योगों को निजी हाथों या कम्पनियों को बेचा गया।
- आर्थिक ढांचे का यह पुनर्निर्माण सरकार द्वारा निर्देशित औद्योगिक नीति के बजाय बाजार की ताकतें कर रही थी इसलिए यह कदम सभी उद्योगों को ध्वंस करने वाला सिद्ध हुआ। इसे इतिहास की सबसे बड़ी गराज-सेल’ के नाम से जाना जाता है। क्योंकि महत्त्वपूर्ण उद्योगों की कम से कम आंकी गई और उन्हें औने-पौने दामों में बेच दिया गया।
- नागरिकों ने अपने अधिकार-पत्रों का ब्लैकमेल किया और धन प्राप्त किया।
प्रश्न 16.
समाज कल्याण पर ‘शॉक थेरेपी’ का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
- सामज कल्याण की पुरानी संस्थाओं को क्रमशः समाप्त कर दिया जिससे लोगों को सहायता मिलनी बंद हो गई।
- विभिन्न रियायतों को समाप्त कर दिया गया। फलस्वरूप लोगों की गरीबी बढ़ती गई।
- मध्य वर्ग की उपेक्षा होने लगी। अकादमी-बौद्धिक कार्यों में लगे लोग या तो नष्ट हो गये या देश छोड़कर दूसरे देशों में चले गये।
- अमीरी और गरीबी की खाई चौड़ी हो गई।
प्रश्न 17.
मध्य एशियाई गणराज्यों में संघर्ष तनाव क्यों उत्पन्न हुआ?
उत्तर:
- यद्यपि मध्य एशियाई गणराज्यों में पेट्रोलियम (Hydrocarbonic) संसाधनों का विशाल भंडार है और इसमें उन्हें आर्थिक लाभ भी हुआ है। परंतु पेट्रोल के कारण यह बाहरी ताकतों और तेल कंपनियों का आपसी प्रतिस्पर्धा का अखाड़ा भी बन गया है।
- इराक की घटना से अमरीका इस क्षेत्र में सभी जगह किराये पर जमीन ले रहा है ताकि यहां से वह अपनी गतिविधियां चला सके।
प्रश्न 18.
सोवियत संघ की भारत को क्या राजनीतिक देन है?
उत्तर:
- सोवियत संघ ने कश्मीर मामले पर संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत के रूख का समर्थन दिया था।
- भारत के संघर्ष के कठिन दिनों में विशेष मद से 1971 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान मदद की।
- भारत ने भी सोवियत संघ की विदेश नीति का अप्रत्यक्ष लेकिन महत्त्वपूर्ण तरीके से समर्थन किया।
प्रश्न 19.
भारत को सोवियत संघ द्वारा दिये जाने वाली सैनिक सहायता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
- सोवियत संघ ने ऐसे समय में सैनिक साजो-सामान भारत को दिये जब कोई भी देश ऐसी सहायता देने को तैयार नहीं था।
- सोवियत संघ ने भारत के साथ कई ऐसे समझौते किए जिससे भारत संयुक्त रूप से सैन्य उपकरण तैयार कर सका।
प्रश्न 20.
भारत और सोवियत संघ के सांस्कृतिक संबंध का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
- हिन्दी फिल्म और भारतीय संस्कृति सोवियत संघ में लोकप्रिय थे।
- बड़े पैमाने पर भारतीय लेखक और कलाकारों ने सोवियत संघ की यात्रा की।
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
बर्लिन की दीवार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बर्लिन की दीवार –
- जर्मनी में स्थित बर्लिन की दीवार राजनैतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अति महत्त्वपूर्ण है। इस दीवार का निर्माण साम्यवादी और पूंजीवादी लोगों को अलग करने के लिए 1961 में किया गया था जो 150 कि. मी. लंबी थी।
- 28 वर्षों तक यह दीवार खड़ी रही सोवियत संघ के पतन के पश्चात जनता ने इसे 9 नवंबर 1989 को तोड़ दिया।
- यह दोनों जर्मनी (पूर्वी और पश्चिमी) के एकीकरण और साम्यवादी समाप्ति की शुरुआत थी।
- यह शीतयुद्ध की समाप्ति और दूसरी दुनिया की समाप्ति की भी प्रतीक थी।
प्रश्न 2.
सोवियत प्रणाली की प्रमुख विशेषताओं की गणना कीजिए।
उत्तर:
सोवियत प्रणाली की विशेषतायें –
- सोवियत समाजवादी गणराज्य (USSR) की स्थापना बोल्शेविक क्रांति (1917) के बाद हुई। यह क्रांति पूंजीवादी व्यवस्था के विरुद्ध हुई थी। इसलिये यहां समाजवादी व्यवस्था की शुरुआत हुई।
- इसमें समाजवाद क आदर्शों और समतामूलक समाज की स्थापना पर जोर दिया गया।
- इसमें निजी सम्पत्ति के अधिकार को समाप्त किया गया और सामूहिक कार्यों पर जोर दिया गया।
- इसमें किसी राज्य और पार्टी की संस्था को प्राथमिक महत्त्व दिया गया। सोवियत राजनीतिक प्रणाली धुरी कम्युनिस्ट पार्टी थी।
- इसमें किसी अन्य राजनीतिक दल या विपक्ष के लिए जगह नहीं थी।
प्रश्न 3.
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था क्या थी?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था –
- सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था अमेरिका के अलावा विश्व के अन्य देशों से अच्छी थी।
- सोवियत संघ की संचार प्रणाली विकसित थी। उसके पास विशाल ऊर्जा संसाधन था जिसमें खनिज, तेल, लोहा और इस्पात तथा मशीनरी उत्पाद शामिल थे।
- सोवियत संघ सुदूर क्षेत्र भी आवागमन की व्यवस्थित और विस्तृत प्रणाली से जुड़े थे। जिससे आर्थिक महत्त्व की वस्तुओं के आदान-प्रदान की सुविधा थी।
- सोवियत संघ का घरेलु उपभोक्ता उद्योग भी बहुत उन्नत था। यहां सभी वस्तुओं का उत्पादन होता था।
- सरकार ने सभी नागरिकों के लिए एक न्यूनतम जीवन स्तर सुनिश्चित कर दिया था। कई चीजें रियायती दर पर दी जाती थी।
- बेरोजगारी नहीं थी सम्पत्ति और भूमि पर राज्य का स्वामित्व था और वही नियंत्रण भी करता था।
प्रश्न 4.
सावियत संघ में नौकरशाही की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सोवियत संघ में नौकरशाही की स्थिति –
- सोवियत संघ में प्रारम्भ में नौकरशाही का नियंत्रण सामान्य था परंतु धीरे-धीरे कठोर होता गया और नौकरशाही सत्तावादी हो गयी।
- नौकरशाही के कड़े रुख से नागरिकों का जीवन कठिन होता चला गया। लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी नहीं रही और लोगों का असंतोष बढ़ता गया जो वहां के चुटकुलों और कार्टूनों में दिखाई देने लगा।
- सोवियत संघ में एक दल-कम्युनिष्ट पार्टी का शासन था और इस दल का सभी संस्थाओं पर कठोर अंकुश था। यह दल जनता के प्रति जवाबदेह नहीं था।
- सोवियत संघ में 15 गणराज्य थे जिनमें रूस एक गणराज्य था परंतु रूस का प्रत्येक मामले में प्रभुत्व था। अन्य क्षेत्रों की जनता प्रायः उपेक्षित और दमित महसूस करती थी।
- सोवियत संघ अपने नागरिकों को राजनीतिक और आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सका। लोगों का पारिश्रमिक लगातार बढ़ता रहा लेकिन उत्पादकता और प्रौद्योगिकी के मामले में वह पश्चिम के देशों से बहुत पीछे छूट गया। उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें आसमान छूने लगी।
प्रश्न 5.
मिखाइल गोर्बाचेव के काल में सोवियत संघ में घटनाओं का वर्णन कजिए।
उत्तर:
मिखाइल गोर्बाचेव के काल में सोवियत संघ में घटित घटनायें –
- 1980 के दशक के मध्य में सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव गोर्बाचेव बने। वे सोवियत संघ में पश्चिम के समान सूचना और प्रोद्योगिकी का विकास करना चाहते थे।
- इसके लिए गोर्बाचेव ने पश्चिम के देशों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने सोवियत संघ को लोकतांत्रिक रूप में देने और वहां सुधार करने का फैसला किया परंतु इसका परिणाम अच्छा नहीं रहा।
- पूर्वी यूरोप के देश सोवियत खेमे के हिस्से में थे। इन देशों की जनता ने अपनी सरकार और सोवियत नियंत्रण को विरोध शुरु कर दिया। गोर्बाचेव ने इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं किया। फलस्वरूप पूर्वी यूरोप की साम्यवाद सरकारें एक के बाद एक गिर गई।
- सोवियत संघ के अंदर भी संकट गहरा रहा था और इससे सोवितय संघ के विघटन की गति तेज हो गई।
- गोर्बाचेव ने देश के अंदर आर्थिक राजनीतिक सुधारों और लोकतंत्रीकरण की नीति चलायी। इन सुधार नीतियों का कम्युनिष्ट पार्टी के नेताओं द्वारा विरोधी किया गया।
प्रश्न 6.
सोवियत संघ के विघटन में येल्तसिन की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन में येल्तसिन की भूमिका –
- कम्युनिष्ट पार्टी के उग्रवादियों के उकसाने से सोवियत संघ में 1991 ई. में एक सैनिक तख्ता पलट हुआ। येल्तसिन ने इस तख्ता पलट के विरोध में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और एक नायक के समान उनका उदय हुआ।
- बोरिस येल्तसिन ने आम चुनाव जीता था और वे राष्ट्रपति बने। उनके काल में सोवियत गणराज्यों ने केन्द्रीकृत नियंत्रण स्वीकार नहीं किया। फलस्वरूप सत्ता मास्को से गणराज्यों की ओर खिसकने लगी।
- सत्ता में परिवर्तन सोवियत संघ के उन भागों में हुआ जो अधिक यूरोपीकृत थे और अपने को संप्रभु राज्य मानते थे।
- आश्चर्य की बात है कि मध्य एशियाई गणराज्यों ने अपने लिए स्वतंत्रता की मांग नहीं की। ये सोवियत संघ के साथ रहना चाहते थे।
- दिसंबर 1991-दिसम्बर में येल्तासिन के नेतृत्व में सोवियत संघ के तीन बड़े गणराज्य रूस, यूक्रेन और बेलारूस ने सोवियत संघ की समाप्ति की घोषणा की।
प्रश्न 7.
सोवियत संघ के विघटन के कारण बताइये।
उत्तर:
सोवियत संघ के पतन के कारण –
- सोवियत संघ की राजनीतिक-आर्थिक संस्थाओं आंतरिक रूप से कमजोर थी जिसके कारण लोगों की आकांक्षाओं को पूरा न कर सकी।
- कई वर्षों तक अर्थव्यवस्था गतिरुद्ध रही। इससे उपभोक्ता वस्तुओं की कमी हो गई। फलस्वरूप लोग अपनी सरकारों से असंतुष्ट हो गये।
- सोवियत संघ पर कम्युनिष्ट पार्टी ने 70 सालों तक शासन किया और यह पार्टी जनता के प्रति जवाबदेह नहीं रह गई थी। इसलिए लोग सरकार से अपने को अलग महसूस कर रहे थे।
- लोग गोर्बचेव की धीमी सुधार गति से संतुष्ट नहीं थे।
- कम्यूनिष्ट पार्टी के सदस्यों का कहना था कि गोर्बाचेव के सुधारों से उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। इस प्रकार गोर्बाचेव से जनता और पार्टी के सदस्य दोनों असंतुष्ट हो गये थे।
प्रश्न 8.
राष्ट्रीयता किस प्रकार सोवियत संघ के पतन का कारण बनी?
उत्तर:
राष्ट्रीयता-सोवियत संघ के पतन का कारण –
- कुछ लोगों को विचार है कि राष्ट्र की भावना और तड़प सोवियत संघ के इतिहास के संपूर्ण-काल में विद्यमान रही। चाहे सुधार होते या न होते, सोवियत संघ में आंतरिक कलह होना अनिवार्य था।
- सोवियत संघ का आकार काफी विशाल था, और उसमें विविधता थी। फिर यहां अनेक आंतरिक समस्यायें थी। ऐसे में राष्ट्रीयता की उत्पत्ति होनी ही थी।
- कुछ अन्य के अनुसार गोर्बाचेव के सुधारों ने राष्ट्रवादियों के असंतोष को इस सीमा तक भड़काया कि उस पर शासकों का नियंत्रण समाप्त हो गया।
- रूस और बाल्टिक गणराज्य (एस्टोनिया, लताविया और लिथुआनिया), यूक्रेन तथा जार्जिया जैसे सावियत संघ के विभिन्न गणराज्य में जबर्दस्त राष्ट्रवाद का उदय हुआ। यह सोवियत संघ के पतन का अंतिम और तात्कालिक कारण था।
प्रश्न 9.
सोवियत संघ के पतन के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
सोवियत संघ के पतन का परिणाम –
- इसका अच्छा परिणाम यह रहा कि दूसरी दुनिया के पतन से शीतयुद्ध का अंत हो गया। विश्व में संघर्षों और तनाव का अंत हो गया।
- हथियारों की होड़, परमाणु हथियारों का संचय और सैनिक गुटों का विभाजन समाप्त हो गया। इससे बहुत सीमा तक शांति स्थापित हुई।
- विश्व राजनीति में शक्ति-संबंधों में परिवर्तन आया और परिणामस्वरूप विचारों और संस्थाओं के आपेक्षिक प्रभाव में भी अंतर आया। महाशक्ति के रूप में सोवियत संघ का विघटन हो गया और अमरीका अकेला महाशक्ति के रूप में कायम है।
- अमरीका के पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के समर्थक होने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसको बढ़ावा मिला है।
- पूँजीवाद की समर्थक संस्थाएँ-विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष जैसे संस्थाएँ विभिन्न देशों की शक्तिशाली सलाहकार बन गई है।
प्रश्न 10.
सोवियत संघ के विघटन ने किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित किया?
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर प्रभाव –
- सोवियत संघ के पतन से नए देशों का उदय हुआ जिसकी अपनी पहचान और पसंद है।
- बल्टिक गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देश यूरोपीय संघ में शामिल होना चाहते हैं और नाटों के समर्थक बने।
- मध्य एशियाई देश रूस के साथ जुड़े रहे और पश्चिमी देशों ने अमेरिका, चीन तथा अन्य देशों के साथ संबंध बनाए।
प्रश्न 11.
शॉक थेरेपी अंतर्गत कौन-कौन से कार्य किए गए?
उत्तर:
शॉक थेरेपी के अन्तर्गत किए गए कार्य –
- शॉक थेरेपी के अंतर्गत प्रमुख कार्य सम्पति का निजीकरण करना था। ऐसा करके पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की ओर मुड़ना था, अर्थात् सोवियत प्रणाली को पूर्ण रूप से समाप्त करना था।
- सामूहिक खेती को निजी खेती में बदलना था इस प्रकार पूँजीवादी व्यवस्था आरंभ हुई।
- शॉक थेरेपी से इन अर्थव्यवस्थाओं की बाहरी व्यवस्थाओं के प्रति रूझान मौलिक रूप से बदल गए।
- विकास के लिए मुक्त व्यापार को बढावा दिया गया। इसके लिए वित्तीय खुलापन, मुद्राओं की आपसी परिवर्तनीयता और मुक्त व्यापार की नीति को महत्वपूर्ण माना गया।
- सोवियत संघ के गुट के व्यापारिक गठबंधनों को समाप्त कर दिया और इस गुट के देशों को पश्चिमी गुट के पश्चिमी गुट से जोड़ गया इस प्रकार इन देशों को पश्चिमी अर्थव्यवस्था अपनानी पड़ी और उनका नियंत्रण स्थापित हो गया।
प्रश्न 12.
शॉक थेरेपी के प्रमुख परिणामों को इंगित कीजिए।
उत्तर:
शॉक थेरेपी के प्रमुख परिणाम –
- शॉक थेरेपी का परिणाम अच्छा नहीं हुआ। वादों की उपेक्षा की गई और जनता को बर्बादी में डाल दिया गया।
- संपूर्ण रूस राज्य औद्योगिक ढाँचा चरमरा गया लगभग सभी उद्योग निजी हाथों को बेच दिया गया। वस्तुतः इस नीति का संचालन सरकार न करके बाजार की शक्तियाँ कर रही थीं।
- इसलिए उद्योगों की बर्बादी हुई। इसे इतिहास की सबसे बड़ी गराज सेल’ के नाम से जाना गया। इसके अंतर्गत उद्योगों की कीमत कम लगायी गई और उन्हें बेदाम बेचा गया।
- यह खरीद कालाबाजारियों द्वारा की गई क्योंकि जनता ने अपना अधिकार-पत्र इनको बेच दिया था।
- रूसी मुद्रा रूबल के मूल्य में अजीब ढंग से भारी गिरावट आ गई।
- मुद्रा स्फीति में इतनी अधिक वृद्धि हुई कि लोगों की जमा-पूँजी भी समाप्त हो गई।
प्रश्न 13.
सोवियत संघ और भारत के मध्य आर्थिक संबंधों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
सोवियत संघ और भारत के मध्य आर्थिक संबंध –
- भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की सोवियत संघ ने ऐसे समय में सहायता की जबकि अन्य जगहों से मदद मिलना मुश्किल था।
- सोवियत संघ ने भिलाई, बोकारो, और विशाखापट्टनम के इस्पात कारखानों तथा भारत हैवी इलेक्ट्रिकटस जैसे मशीनरी संयंत्रों के लिए आर्थिक और तकनीकी सहायता दी।
- भारत में जब विदेशी मुद्रा की कमी थी तब सोवियत संघ ने रुपए को माध्यम बनाकर भारत के साथ व्यापार किया।
- सोवियत संघ भारत को रियायती दर पर हथियार सप्लाई करता रहा है।
प्रश्न 14.
पूर्व साम्यवादी देश और भारत के संबंधों का परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
पूर्व साम्यवादी देश और भारत के संबंध –
- भारत ने पूर्व साम्यवादी देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित किए हैं परंतु रूस के साथ उसका अधिक घनिष्ठ संबंध है।
- भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण पक्ष रूस से संबंध का है।
- भारत रूस का संबंध आपसी विश्वास और साझे हितों पर आधारित है।
- भारत रूस के आपसी संबंध इन देशों की जनता की अपेक्षाओं से मेल खाते है। भारतीय फिल्म के अनेक नायक राजकपूर से लेकर अमिताभ तक पूर्व सोवियत संघ और रूस में लोकप्रिय रहे हैं।
- दोनों देश विश्व बहुध्रुवीय विश्व स्थापित करना चाहते हैं। दोनों के बीच अनेक सामरिक समझौतों और द्विपक्षीय दस्तावेजों पर हस्ताक्षर हुए हैं।
प्रश्न 15.
भारत-रूस संबंध से एक दूसरे को क्या लाभ हुए हैं?
उत्तर:
भारत-रूस संबंध से एक दूसरे का लाभ –
- इस संबंध से भारत को कश्मीर, ऊर्जा आपूर्ति, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से संबंधित सूचनाओं के आदान प्रदान, पश्चिम एशिया में पहुँच बनाने तथा चीन के अपने संबंधों में संतुलन लाने जैसे मसलों में लाभ हुए हैं।
- भारत रूस के लिए हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा खरीददार देश है। भारतीय सेना को अधिकांश सैनिक साजो सामान रूस का होता है।
- भारत रूस के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि वह रूस से तेल आयात करता है।
- भारत रूस से अपने ऊर्जा आयात को भी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
- रूस भारत की परमाण्विक योजना के लिए भी महत्वपूर्ण है।
- रूस से भारत को अंतरिक्ष उद्योग में भी सहायता मिलती है। दोनों विभिन्न वैज्ञानिक परियोजनाओं में भी साझीदार हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
सोवियत संघ के विघटन पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर:
सोवियत संघ का विघटन-1985 ई. में मिखाइल गोर्बाचेव सोवियत संघ के साम्यवादी दल के प्रथम सचिव चुने गए। उनके नेतृत्व में सोवियत संघ में एक नवीन क्रांति का उदय हुआ। उनकी नीति खुलेपन’ और पुनर्गठन.की थी। वे सोवियत संघ की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था में परिवर्तन चाहते थे। वे मानवतावादी थे और विश्व शांति के पक्षधर थे। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ परमाणु शस्त्रों पर नियंत्रण रखने का समझौता किया। अक्टूबर, 1988 को गोर्बाचेव सोवियत संघ के राष्ट्रपति होने के कारण सोवियत संघ के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन गए थे। वे उदारवादी थे।
उन्होंने सोवियत संघ में सच्ची लोतान्त्रिक व्यवस्था स्थापित करने का निश्चय किया। अब सोवियत संघ में जीवन के सभी पहलुओं की जाँच परख होने लगी। उन्होंने (गोर्बाचेव ने) सोवियत संघ की राजनैतिक एवं आर्थिक प्रणाली में विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से पाबंदी हटा ली। अर्थव्यवस्था में आ चुकी जड़ता को समाप्त करने और जनता की जीवन यापन की दशा सुधारने के लिए कई सुधार किए। दो रूसी शब्द – पेरिस्त्रोइका (पुनर्गठन) और ग्लास्तनोस्त (खुलापन) जो इन सुधारों के लिए प्रयुक्त होते हैं, विश्वविख्यात हो गए हैं।
पेरिस्त्रोइका की अवधारणा इसलिए प्रस्तुत की गई की ऊपरी परिवर्तनों और सुधारों से कुछ नहीं चलेगा बल्कि पुनर्गठन अर्थात् आमूल परिवर्तन की आवश्यकता है। पुनर्गठन (पेरिस्त्रोइका) का लक्ष्य समाज की नैतिक और मानसिक स्थिति को बदलना तथा उत्पादन में मानवीय रूचि के स्तर में सुधार लाना एवं सामाजिक-आर्थिक रूपान्तरण में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना है। इसके लिए ग्लास्तनोस्त (खुलापन) जरूरी है। गोर्बाचेव का कहना था कि लोगों, कार्य-समूहों के हितों को ध्यान में रखकर, उन पर विश्वास करके उनको सक्रिय निर्माण प्रयासों में शामिल करके ही देश की स्थिति में परिवर्तन लाया जा सकता है।
सोवियत संघ में खुलापन लाने के लिए यह निर्णय लिया गया कि केन्द्रीय नियोजन प्राधिकरण अर्थव्यवस्था एवं उद्यमों के दैनिक क्रियाकलाप में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। गोर्बाचेव द्वारा सोवियत संघ में निजी सम्पत्ति रखने के अधिकार को मान्यता देने से लेनिनवादी साम्यवाद को प्रबल आघात लगा है। आर्थिक लेन-देन की आवश्यकता, सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था का पतन और अन्य देशों की आर्थिक सहायता की आवश्यकता से सोवियत संघ में साम्यवाद के पतन को संभव बनाया है।
सोवियत संघ में जो नवीन क्रांति आयी, उसने देश के राजनैतिक ढाँचे को पूरी तरह बदल दिया है। सोवियत संघ के 15 राज्य अब स्वतंत्र देश बन गए हैं। ये देश हैं –
- रूस
- एस्तोनिया
- लातविया
- लिथुआनिया
- बेलारूस
- यूक्रेन
- मॉलडोवा
- आर्मेनिया
- जार्जिया
- आजरबाइजान
- तुर्कमेनिस्तान
- उजबेकिस्तान
- किरगिजस्तान
- ताजिकास्तान
- कजाकिस्तान।
24 दिसम्बर 1991 ई. को भारत ने इस सभी देशों को मान्यता दे दी। ये सभी देश संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य भी बन गए। संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् में रूस को स्थायी सदस्य भी बना लिया गया है। (यह स्थान पहले सोवियत संघ को प्राप्त था)। सोवियत संघ और उसके सहयोगी देशों ने वारसा संधि संगठन की स्थापना की थी। सोवियत संघ का विघटन विश्व इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। इससे सोवियत गुट का अंत हो गया है और शीत युद्ध भी समाप्त हो गया है।
इससे विश्व शांति को बढ़ावा मिला है। सोवियत संघ के विघटन से बने 15 स्वतंत्र देशों में से अधिकांश ने स्वतंत्र राष्ट्रों के राष्ट्रकुल की स्थापना की है। ये सभी नवनिर्मित अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने में लगे हुए हैं। इसके लिए वे अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा बाहरी सहायता के इच्छुक हैं। नवनिर्मित राष्ट्रों में रूस सबसे विशाल एवं शक्तिशाली है। सोवियत संघ के साथ भारत के घनिष्ठ मैत्री संबंध थे। लेकिन सोवियत संघ के विघटन का भारत के साथ उसके मैत्री संबंधों पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा। भारत के आधुनिक रूस से वैसे ही मैत्रीपूर्ण संबंध हैं जैसे उसके सोवियत संघ के साथ थे।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर
I. निम्नलिखित विकल्पों में सही का चुनाव कीजिए
प्रश्न 1.
सोवियत अर्थव्यवस्था की प्रकृति के बारे में निम्नलिखित में कौन-सा कथन गलत है?
(अ) सोवियत अर्थव्यवस्था में समाजवाद प्रभावी विचारधारा थी।
(ब) उत्पादन के साधनों पर राज्य का स्वामित्व/नियंत्रण होना।
(स) जनता को आर्थिक आजादी थी।
(द) अर्थव्यवस्था के हर पहलू का नियोजन और नियंत्रण राज्य करता था।
उत्तर:
(स) जनता को आर्थिक आजादी थी।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित को कालक्रमानुसार सजाएँ।
(अ) अफगान-संकट
(ब) बर्लिन-दीवार का गिरना
(स) सोवियत संघ का विघटन
(द) रूसी क्रांति
उत्तर:
(द), (अ), (व), (स)
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में कौन-सा सोवियत संघ के विघटन का परिणाम नहीं है?
(अ) संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच विचारधारात्मक लड़ाई का अंत
(ब) स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रकुल (सी आईएस) का जन्म
(स) विश्व-व्यवस्था के शक्ति-संतुलन में बदलाव
(द) मध्यपूर्व में संकट
उत्तर:
(द) मध्यपूर्व में संकट
प्रश्न 4.
शीतयुद्ध सबसे बड़ा प्रतीक थी –
(अ) बर्लिन दीवार का खड़ा किया जाना
(ब) 1989 में पूर्वी जर्मनी की आम जनता द्वारा बर्लिन दीवार का गिराया जाना
(स) जर्मनी के द्वितीय विश्वयुद्ध से पूर्व एडोल्फ हिटलर के नेतृत्व में नाजी पाटी का उत्थान
(द) उपर्युक्त में कोई भी नहीं
उत्तर:
(अ) बर्लिन दीवार का खड़ा किया जाना
प्रश्न 5.
पूर्वी जर्मनी के लोगों ने बर्लिन दीवार गिरायी थी –
(अ) 1946 में
(ब) 1947 में
(स) 1989 में
(द) 1991 में
उत्तर:
(स) 1989 में
प्रश्न 6.
बर्लिन की दीवार बनाई गई थी –
(अ) 1961 में
(ब) 1951 में
(स) 1971 में
(द) 2001 में
उत्तर:
(अ) 1961 में
प्रश्न 7.
लेनिन का जीवन-काल माना जाता है –
(अ) 1870-1924
(ब) 1870-1954
(स) 1870-1934
(द) उपर्युक्त में कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) 1870-1924
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में कौन-सा सोवियत संघ के विघटन का परिणाम नहीं है?
(अ) अमेरिका और सोवियत संघ के बीच विचार धारात्मक युद्ध की समाप्ति
(ब) स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल की उत्पत्ति
(स) विश्व व्यवस्था के शक्ति-संतुलन में परिवर्तन
(द) मध्यपूर्व में संकट
उत्तर:
(स) विश्व व्यवस्था के शक्ति-संतुलन में परिवर्तन
प्रश्न 9.
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में शीतयुद्ध का प्रारंभ हुआ –
(अ) 1945
(ब) 1962
(स) 1946
(द) 1964
उत्तर:
(अ) 1945
प्रश्न 10.
सोवियत संघ का विघटन हुआ –
(अ) 25 दिसम्बर, 1991
(ब) 25 दिसम्बर, 1990
(स) 25 दिसम्बर, 1992
(द) 25 दिसम्बर, 1993
उत्तर:
(अ) 25 दिसम्बर, 1991
प्रश्न 11.
1917 में रूस में समाजवादी राज्य की स्थापना किसने की?
(अ) कार्ल मार्क्स
(ब) फ्रेडरिक एंजिल्स
(स) लेनिन
(द) स्टालिन
उत्तर:
(स) लेनिन
प्रश्न 12.
किसने पेरेस्त्रोइका और ग्लासनोस्त की नीति प्रतिपादित की?
(अ) लियोनिड ब्रेजनेव
(ब) निकिता खुश्चेव
(स) मिखाईल गोर्वाचोव
(द) बोरिस येल्तसीन
उत्तर:
(स) मिखाईल गोर्वाचोव
प्रश्न 13.
सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति कौन थे?
(अ) जोसेफ स्टालीन
(ब) कोसीजीन
(स) वुल्गानीन
(द) मिखाईल गोर्वाचोव
उत्तर:
(द) मिखाईल गोर्वाचोव
प्रश्न 14.
पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी को विभाजित करने वाली बर्लिन की दीवार कब गिरा दी गई?
(अ) 1989
(ब) 1990
(स) 1991
(द) 1992
उत्तर:
(अ) 1989
प्रश्न 15.
जर्मनी का एकीकरण कब हुआ था?
(अ) 1989
(ब) 1991
(स) 1993
(द) 1992
उत्तर:
(ब) 1991
प्रश्न 16.
शॉक थेरेपी को अपनाया गया –
(अ) 1990
(ब) 1991
(स) 1989
(द) 1992
उत्तर:
(अ) 1990
प्रश्न 17.
सोवियत गुट से सबसे पहले कौन-सा देश अलग हुआ?
(अ) पोलैंड
(ब) युगोस्लाविया
(स) पूर्वी जर्मनी
(द) अल्बानिया
उत्तर:
(स) पूर्वी जर्मनी
II. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ –
उत्तर:
(1) – (ii)
(2) – (i)
(3) – (iv)
(4) – (iii)
(5) – (vi)
(6) – (v)
(7) – (vii)
(8) – (ix)
(9) – (viii)