📚 कक्षा 10वीं हिंदी (वर्णिका भाग 2) का पाठ 5 “धरती कब तक घूमेगी” सामाजिक संवेदना, वृद्धावस्था की उपेक्षा और आत्मसम्मान जैसे विषयों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करता है। यह पाठ विशेष रूप से बिहार बोर्ड के छात्रों के लिए परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यहाँ हम इस पाठ से संबंधित सभी महत्वपूर्ण subjective प्रश्नों के उत्तर Q&A (प्रश्न-उत्तर) शैली में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिससे छात्रों को परीक्षा की तैयारी में आसानी हो।
🌍 धरती कब तक घूमेगी | QnA (प्रश्न उत्तर)
Q1. सीता का चरित्र चित्रण करें।
👉 उत्तर:
सीता एक विधवा, सहनशील और आत्मसम्मानी महिला है। वह बहुओं के कटु वचनों को सहती है, परन्तु उत्तर नहीं देती। जब बेटों ने उसके लिए प्रतिमाह ₹50 निर्धारित कर दिए, तो उसे गहरा आघात लगा और वह स्वाभिमान के साथ घर छोड़ देती है। वह शांत, दृढ़ और स्वाभिमानी चरित्र की प्रतीक है।
Q2. ‘धरती कब तक घूमेगी’ शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करें।
👉 उत्तर:
यह शीर्षक वृद्धा सीता के जीवन के संघर्षों और मानसिक घुटन को दर्शाता है। वह सोचती है कि जीवन की इस पीड़ा की परिधि कब तक चलेगी? धरती तो घूम रही है, पर क्या उसका जीवन भी ऐसे ही घूमता रहेगा? इस गहरे भाव के कारण शीर्षक पूरी तरह सार्थक है।
Q3. “इस समय उसकी आँखों के आगे न तो अँधेरा था और न ही उसे धरती और आकाश के बीच घुटन हुई।” सप्रसंग व्याख्या करें।
👉 उत्तर:
ये पंक्तियाँ तब की हैं जब सीता घर छोड़कर निकल जाती है। उसका मन अब शांत है। मानसिक पीड़ा समाप्त हो चुकी है, और उसके चारों ओर प्रकृति भी शांत लग रही है। अब उसे न तो अंधकार महसूस होता है और न ही जीवन में घुटन।
Q4. सीता क्या सोचकर घर से निकल पड़ी?
👉 उत्तर:
जब बेटों ने उसे ₹50 महीने की राशि तय कर दी, तो उसने सोचा कि अगर मजदूरी ही करनी है तो अपने अनुसार कहीं भी कर सकती है। आत्मसम्मान की भावना से वह घर से निकल पड़ी।
Q5. सीता अपनी स्थिति की तुलना किससे करती है?
👉 उत्तर:
वह अपनी स्थिति की तुलना एक भिखारिन से करती है जो दर-दर रोटी के लिए भटकती है। हर महीने उसे नए घर में जाना पड़ता है, जैसे वह कोई बोझ हो।
Q6. सीता अपने ही घर में घुटन क्यों महसूस करती है?
👉 उत्तर:
बेटों और बहुओं की उपेक्षा और तानों से सीता को अपमान और घुटन महसूस होती है। वह महसूस करती है कि अब उसका अपना कोई नहीं है। दो रोटियों के लिए उसे ताने सहने पड़ते हैं।
Q7. पाली बदलने पर बच्चों की खुशी और माता-पिता की नाखुशी का क्या कारण था?
👉 उत्तर:
बच्चों को अपनी दादी से प्रेम था, इसलिए वे दादी के आने पर खुश होते थे। लेकिन बहुएं अपनी सास को बोझ समझती थीं, इसलिए उन्हें पाली बदलने पर नाखुशी होती थी।
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